बीते गुरुवार 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Noida Airport) का उद्घाटन किया और इसकी आधारशिला रखी। इसे जेवर हवाई अड्डा भी कहा जाता है, ये प्रोजेक्ट पूरा होने पर एशिया के सबसे बड़ा हवाई अड्डे बन जायेगा। हालांकि कुछ सियासी लोग इसे यूपी चुनाव के मुद्देनज़र चुनाव पूर्व पॉलिटिकल स्टंट (Pre Election Political Stunt) बता रहे हैं।
विपक्ष से ऐसी आवाजें आई जो कह रही हैं कि हवाई अड्डे के निर्माण के सरकार के कदम का मकसद आगामी उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Election) में ज़्यादा वोट हासिल करना है।
क्या हवाई अड्डे की नींव का मतलब केवल वोट देना है या ये ना सिर्फ यूपी बल्कि उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में प्रगति और भविष्य के विकास के लिये मौके पैदा करेगा।
जेवर हवाई अड्डे का विचार नया नहीं है और इसका प्रस्ताव पहली बार 20 साल पहले 2001 में भेजा गया था। उस समय की उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच गठबंधन की सरकार थी। मौजूदा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उस वक़्त सूबे के मुख्यमंत्री थे।
साल 2002 में बसपा प्रमुख मायावती के यूपी सीएम बनने के बाद हवाई अड्डे का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था, लेकिन ये आकार नहीं ले पाया। तब से दो दशक बीत चुके हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई वाली यूपी सरकार ने राज्य के पश्चिमी हिस्से में चुनावी लाभ हासिल करने के लिये प्रस्तावित हवाई अड्डे की जगह को नोएडा से आगरा में बदलने पर विचार किया। हालांकि हवाईअड्डा योजना फिर से शुरू करने में सपा सरकार नाकाम रही।
जिस बड़े सवाल का जवाब देने की जरूरत है, वो ये है कि क्या दो दशकों से कागज पर पड़े हवाईअड्डे को चुनावी एंगल से देखना सही है। बदकिस्मती से भारत में प्रगति और विकास कार्यों को भी राजनीति से प्रेरित के रूप में देखा जाता है।
एक अध्ययन के मुताबिक भारत में लोकसभा और विधानसभा से लेकर पंचायत या नगर निगम चुनावों तक औसतन हर 4 से 6 महीने में कोई न कोई चुनाव होता रहता है। इसका मतलब है कि चुनाव तंत्र (Election System) हमेशा चालू रहता है। इससे किसी भी विकास परियोजना को चुनाव से जोड़ने में आसानी होती है।
आज वही नेता बसपा की मायावती और सपा के अखिलेश यादव जेवर एयरपोर्ट को चुनावी कदम बता रहे गुट के बीच अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। इन्हीं पार्टियों ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले हजारों योजनाओं घोषणा की जब वे सत्ता में थी।
साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के लिये पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कुछ ही महीनों में 60,000 करोड़ रुपये की योजनाओं और परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। हालाँकि वो सिर्फ कुछ योजनाओं को सीएम के तौर पर चला सके। अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले दिसंबर 2016 में 910 परियोजनाओं की नींव रखी थी, लेकिन उनमें से कई योजनायें शुरू हो नहीं हो पायी, जबकि यूपी सरकार में लगभग सभी मंत्री सपा के ही थे।
इस बात से कोई इंकार नहीं है कि हर सरकार मतदाताओं से अपील करने के लिये भारी तादाद में चुनावों के दौरान योजनाओं का ऐलान करती है और साथ ही हजारों करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं का उद्घाटन करती है। लेकिन नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को इस तरह के कदम के तौर पर क्लासीफाइड करना भ्रामक होगा क्योंकि हवाईअड्डे का विचार कुछ महीने पहले तय नहीं किया गया था, बल्कि 20 साल लंबा इंतजार करना पड़ा था। सिर्फ नोएडा या यूपी ही नहीं, जेवर एयरपोर्ट देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट के तौर पर करोड़ों भारतीयों को अपनी सेवायें मुहैया करवायेगा।