Constitution Day: सियासी खींचतान के बीच मनाया गया संविधान दिवस

नई दिल्ली (शौर्य यादव): आज (26 नवंबर 2021) देशभर में संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जा रहा हौ। इस मौके पर संसद के सेन्ट्रल हॉल (Central Hall of Parliament) में दोनों सदनों के सभापतियों की अगुवाई में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस बीच आयोजन का मुख्य विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया। कांग्रेस समेत करीब 14 विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने संविधान दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया। जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच रार ठनती दिखी।

एक और भाजपा कांग्रेस की अगुवाई में बुलाये गये बहिष्कार को डॉ भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) का "अपमान" करार दे रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ दिन पहले 4 नवंबर को प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती (Jawaharlal Nehru's birth anniversary) मनाने के लिये संसद में आयोजित समारोह में भाजपा नेताओं (BJP leaders) की गैरमौजूदगी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा था। इस बीच कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने ये साफ किया संविधान दिवस कार्यक्रम किसी पार्टी विशेष का नहीं है।

Constitution Day के कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहीं ये अहम बातें

  • आज का दिवस बाबासाहेब अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दुरंदेशी महानुभावों का नमन करने का है। आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है।

  • आज पूज्य बापू को भी नमन करना है। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन सबको भी नमन करने का है।

  • आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया।

  • देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं।

  • हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है।

  • इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिये।

  • बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें।

  • जब सदन में इस विषय पर मैं 2015 में बोल रहा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर इस कार्य की घोषणा करते समय तब भी विरोध आज नहीं हो रहा है उस दिन भी हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से ले आए, क्यों कर रहे हो, क्या जरूरत थी।

  • भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वो है पारिवारिक पार्टियां।

  • योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है। लेकिन एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है।

  • संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।

  • महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता।

  • महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे। लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बाते करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि 'हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे'।

  • आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे लिए आवश्यक है कि कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ें ताकि अधिकारों की रक्षा हो।

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