Supreme Court ने जारी किया फरमान, 24 घंटों में केंद्र पेश करें वायु प्रदूषण से निपटने की ठोस योजना

नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज (2 दिसंबर 2021) दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की। साथ ही केंद्र और दिल्ली सरकार (Central and Delhi Government) को प्रदूषण पर काबू पाने के ठोस उपायों को लागू करने की योजना को साथ 24 घंटे में पेश होने का फरमान भी जारी किया। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की न्यायिक खंडपीठ (Judicial Bench) ने केंद्र और दिल्ली सरकार से “स्थिति पर कड़ी नज़र रखने और समाधान के साथ आने” के लिये कहा।

शीर्ष अदालत के संज्ञान में आया कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Air Quality Management Commission) द्वारा जारी किये गये कई निर्देशों को जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा है और कहा कि इमर्जेंसी हालातों में आपको (दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार) फौरी तरीके से काम करना होगा

इसके साथ ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि “आयोग क्या कर रहा है? 20-30 सदस्य समिति का क्या मतलब है? ये सरकारी खज़ाने पर बोझ है। हमें कुछ अलग करना होगा नहीं तो प्रदूषण की जीत हो जायेगी।” सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) रख रहे थे।

सॉलिसिटर जनरल ने बेंच द्वारा ज़ाहिर की गयी चिंताओं का जवाब देने के लिये एक और दिन का वक़्त मांगा और कहा कि, "वो सर्वोच्च अधिकारी से बात करेंगे।" इस पर बेंच ने कहा, " हम एक गंभीर वास्तविक कार्रवाई की उम्मीद करते हैं, अगर आप कल तक ऐसा नहीं कर सकते हैं तो हम वाज़िब कार्रवाई करने जा रहे हैं। हम आपको 24 घंटे दे रहे हैं।"

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा कि "हमें लगता है कि कुछ नहीं हो रहा है क्योंकि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हमें लगता है कि हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। अगर अदालत, सरकार और हर कोई इतना कुछ कर रहा है तो प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है।” सुनवाई के दौरान न्यायिक पीठ ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बीच स्कूल खोलने के लिये दिल्ली सरकार की क्या मंशा है? एक ओर दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों और कामकाज़ी लोगों के लिये वर्क फ्रॉम होम लागू कर रही है, दूसरी ओर बच्चों को स्कूल जाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Senior Advocate Abhishek Manu Singhvi) ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदूषण का स्तर कम होने के बाद स्कूलों को फिर से खोल दिया गया था, हालांकि ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प अभी भी है। जिस पर न्यायालय ने कहा कि "आप हमारे कंधों से गोलियां नहीं चला सकते, आपको कदम उठाने होंगे। आप सरकार हैं इसलिए आपको कार्रवाई करनी होगी।”

हाल ही में केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर किया और शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि सेंट्रल विस्टा विकास परियोजना (Central Vista Development Project) और नए संसद भवन के लिये निर्माण कार्य "राष्ट्रीय महत्व" की परियोजनायें हैं। केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया शीर्ष अदालत के 29 नवंबर के आदेश के कॉम्प्लायंस में दायर की गयी थी, जिसमें सरकार से इस आरोप पर जवाब देने को कहा था कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के लिये निर्माण कार्य प्रदूषण के लिये जिम्मेदार नहीं है।

शीर्ष अदालत कल सुबह 10 बजे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिगड़ती एयर क्वालिटी के हालातों पर काबू पाने के लिये आपातकालीन कदम उठाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी।

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