देहव्यापार इस दुनिया का सबसे पुराना कारोबार रहा है। इसे वेश्यावृति और जिस्मफरोशी नामों से भी जाना जाता रहा है। हमारे देश में गणिका, नगरवधू, लोकांगना और देवदासी, तवायफ़ जैसे शब्दों को वेश्या से जोड़ा जाता रहा है। लेकिन तकनीकी तौर पर गणिका, नगरवधू, नागरी और लोकांगना को आमजनों के बीच हीन भाव से नहीं देखा जाता था। बल्कि ये अपने रूपसौन्दर्य गायन और नृत्य शैली के दम पर सम्मान पाती थी। भारत में वेश्यावृति का मौजूदा चेहरा पुर्तगालियों ने तैयार किया था। 16-17वीं शताब्दी के दौरान पुर्तगाली पानी के ज़हाजों में जापानी लड़कियों को यौनसुख के लिए भरकर लाते थे। ठीक इसी तर्ज पर ब्रिटिशर्स और यूरोपियन व्यापारियों ने जिस्मफरोशी को बढ़ावा दिया और इसने कारोबार की शक्ल अख़्तियार की।
रेड एरिया शब्द आया कहां से?
इस शब्द को लेकर तरह-तरह की थ्योरियां सामने आयी है। सबसे पुख्ता इस थ्योरी को माना जाता रहा है- इसकी शुरूआत चीन से होती है, जहाँ कारोबार करने आये व्यापारियों को लुभाने के लिए चीनी वेश्यायें अपने घरों के बाहर लाल रंग की आकर्षक लालटेनें जलाती थी। जिससे कारोबारियों को ये इलाका अलग से ही नज़र आता था। तबसे लेकर आज तक ये शब्द जिस्मफरोशी के साथ जुड़ा हुआ है।
देशभर में फैला रेड लाइट एरिया का जाल
पश्चिम बंगाल सोनागाछी- देहव्यापार के लिहाज़ से कोलकाता का ये मशहूर इलाका सबसे पुराना और बड़ा है। सोनागाछी का हिन्दी में मतलब होता है सुन्दर बाग। ये उत्तरी कोलकाता के शोभा बाज़ार के पास चित्तरंजन इलाके में है। यहाँ कई वेश्यालयों को स्थानीय प्रशासन से वेश्यावृति के लिए लाइसेंस भी मिला हुआ है। एक दिलचस्प बात ये भी है कि दुर्गापूजा के दौरान माँ दुर्गा की बनने वाली प्रतिमा के लिए वेश्यालय की मिट्टी भी इस्तेमाल होती है, जिसके लिए भी लोग यहाँ आते है।
महाराष्ट्र कमाठीपुरा- ये दूसरा सबसे बड़ा जिस्मफरोशी का अड्डा है। इस इलाके की कहानी साल 1795 बॉम्बे बनने के साथ शुरू होती है। आन्ध्रा प्रदेश से आयी राजमिस्री सहायक का काम करने वाली महिलाओं ने इसकी नींव रखी। शुरूआती दौर में ये अंग्रेजों की मौजमस्ती का अड्डा हुआ करता था। बाद में यहाँ पर हिन्दुस्तानी कारोबारियों का आना-जाना भी शुरू हो गया। हाल ही में जब महाराष्ट्र सरकार ने डांस बार पर पाबंदियां लगायी तो यहाँ की सैक्सवर्करों की तादाद में भारी इज़ाफा देखा गया।
पुणे बुधवार पेठ- महाराष्ट्र के पुणे में गणेश जी का एक मशहूर मंदिर है दगडूसेठ हलवाई गणपति। ये रेड लाइट एरिया मंदिर के रास्ते में ही पड़ता है। इलैक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स की बड़ी मार्केट के बीच यहाँ पर कई लड़कियां ग्राहकों को आव़ाज लगाती दिख जायेगी। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा यहाँ पर आये दिन कॉबिंग ऑपरेशन ऑप्रेशन चलाया जाता है, जिससे ये जानने मदद मिलती है कि किसी से जोर जब़रदस्ती करके धंधा तो नहीं करवाया जा रहा या फिर कोई नाबालिग तो नहीं है।
नागपुर गंगा-जामुन- इस इलाके का नाम गंगा और जामुन नाम की दो नर्तकियों के नाम पर रखा गया था। इसीलिए यहाँ पर जिस इमारत में सबसे पहले वेश्यावृति का काम शुरू किया गया, उस इमारत का नाम गानेवाली बिल्डिंग रखा गया। यहाँ के रहने वाले स्थानीय निवासियों और वेश्यालय चलाने वालों लोगों के बीच काफी बार झड़पे हो चुकी है, स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिस्मफरोशी की तलाश में आये लोग, उनके घरों पर पहुँच जाते है। जिससे असहजता की स्थिति बनती है।
ग्वालियर रेशमपुरा- मध्य प्रदेश का ये इलाका मॉडर्न तरीके से जिस्मफरोशी का कारोबार करने के लिए जाना जाता है। यहाँ की ज़्यादातर लड़कियां मुंबई से आय़ी है, जो किसी जमाने में बार डांसर हुआ करती थी। इनकी वज़ह से यहाँ पर ये वेश्यावृति का कारोबार काफी हाई-प्रोफाइल हो गया। जिसके चलते यहाँ पर ऑनलाइन तरीके इस्तेमाल होने लगे, लड़कियां अपना पोर्टफोलियों तक तैयार करवाने लगी। शुरूआती दौर में यहाँ पर बेड़िया जनजाति के लोग रहते थे, जिनका परम्परागत पेशा ही वेश्यावृति हुआ करता था।
मीरगंज इलाहाबाद- यहाँ इलाके की पुरानी इमारतों में वेश्यालय चलाये जा रहे है। एक अन्दाज़े के मुताबिक यहाँ पर ये सब तकरीबन 150 सालों से चल रहा है। यहां से कुछ ही दूरी पर एक स्कूल है, जिसमें काफी सारे बच्चे पढ़ते है, उन पर गलत असर न पड़े इसलिए इस रेड लाइट एरिया को हटाने को लेकर हाईकोर्ट के ऑर्डर के बावजूद यहाँ पर ये सब चोरी छिपे चल रहा है। मीरगंज का ऐतिहासिक महत्त्त्व ये है कि यहाँ पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म हुआ था। साथ ही मीरगंज ज्वैलरी मार्केट के लिए भी जाना जाता है।
शिवदासपुर वाराणसी- ये दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। बनारस रेलवे स्टेशन से महज़ तीन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस रेड लाइट एरिया की खास़ बात है, यहाँ का 450 साल पुराना रिव़ाज। साल भर में एक बार मडुवाडीह, दालमंडी, शिवदासपुर और चूनर की वेश्यायें श्मशानेश्वर महादेव के सामने मणिकर्णिका घाट पर नाचती है और उनसे अगले बेहतर जीवन की कामना करती है।
मेरठ कबाडी बाज़ार- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देहव्यापार का सबसे पुराना इलाका है। यहाँ पर ज़्यादातर स्क्रैप का कारोबार होता है और साथ ही देशभर के अलग-अलग इलाकों से लड़कियों को अपहृत कर यहाँ लाया जाता है। कबाड़ी बाज़ार शहर के उस इलाके में है, जहाँ पर कभी ब्रिटिशर्स का दखल हुआ करता था। एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की रेड होने से पहले यहाँ की लड़कियों को दिल्ली शिफ्ट कर दिया जाता है।
जीबी रोड दिल्ली- पुरानी दिल्ली का ये इलाका कई ऐतिहासिक किस्सों को अपने में समेटे हुए है। इसकी पहचान मुगलकाल से जुड़ी हुई है। गारस्टिन बास्टिन के नाम पर इसका नाम जीबी रोड़ पड़ा बाद में इसका नाम बदलकर श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया। लेकिन जिस तरह से इलाके में खुला देह व्यापार चलता है, उसकी वज़ह से जीबी रोड नाम ही काफी मशहूर है। आन्ध्रा प्रदेश, बंगाल, और नेपाल की ज़्यादातर लड़िकयां यहाँ काम करती है। देहव्यापार के अलावा जीबी रोड हैवी मशीनरी वर्क्स और टूल्स डाई के लिए जाना जाता है।
बिहार मुज़्जफरपुर चतुर्भुज– भारत-नेपाल सीमा के पास बसा ये इलाका मुगल शासन के दौरान कला नृत्य और गायन के लिए जाना जाता था। पन्नाबाई, भ्रमर, गौहरखान और चंदाबाई जैसे मशहूर नाम इसी जगह से निकले है जिन्होनें गायन और नृत्य में काफी नाम कमाया। एक खास़ बात यहाँ से, ये भी जुड़ी हुई है कि देवदास उपन्यास के लेखक शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को अपनी पारो यहीं टकरायी थी। जिससे प्रेरणा लेकर उसका चरित्र देवदास में रचा गया था।