न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): General Bipin Rawat: तमिलनाडु की नीलगिरि पहाड़ियों में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में देश ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), जनरल बिपिन रावत को खो दिया। इस घटना में उनकी पत्नी डॉ मधुलिका रावत ने भी मौके पर ही दम तोड़ दिया। बिपिन रावत ने करीब चार दशकों तक देश को अपनी सेवायें दी। उनकी काबिलियत को देखते हुए सेना प्रमुख से उन कद बढ़ाते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff) कर दिया गया। वो देश के पहले शख़्स बने जिन्होनें इस पद पर काम किया।
जनरल बिपिन रावत ने 1 जनवरी, 2020 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में पदभार संभाला, इस पद पर आसीन होने के बाद वो पहले अग्रणी सैन्य अधिकारी (leading military officer) बने गये। उन्हें साल 2016 में दो अधिकारियों की जगह 27वां सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सरकार ने उनकी सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिये सेना के नियमों में संशोधन किया, जिससे पद पर उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ।
पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद को कम करने का श्रेय जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) को जाता है। साल 2015 में म्यांमार में सीमा पार ऑपरेशन जिसमें भारतीय सेना ने एनएससीएन-के (NSCN-K) आतंकवादियों पर घात लगाकर कामयाब हमला किया था। ये ऑप्रेशन उनकी देखरेख में किया गया था।
जनरल रावत साल 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) का भी हिस्सा थे। भारतीय सेना के ज़वान नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसे और पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के आतंकी प्रशिक्षण शिविर (Terrorist Training Camp) पर हवाई हमला किया। उस दौरान जनरल रावत कथित तौर पर नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक से सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कवायद पर निगरानी बनाये हुए थे।
जनरल रावत उत्तर और पूर्वी कमांड समेत कठिन इलाकों में सेवा करने वाले, आतंकवाद विरोधी और हाई एल्टीट्यूट ऑप्रेशंस (High Altitude Operations) इलाकों में युद्ध करने में अनुभवी थे। उन्होंने दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-C) के तौर पर भी काम किया ।
उन्होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के तौर पर उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स (Gurkha Rifles) की कमान संभाली। एक ब्रिगेडियर के तौर पर उन्होंने कश्मीर के सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स (Rashtriya Rifles) के 5 सेक्टर की कमान संभाली।
जनरल बिपिन रावत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड (Multinational Brigade) की कमान संभाली है। यहां उन्हें दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन (Force Commander Commendation) से नवाजा गया।
जनरल रावत को उनकी सेवा के लिये कई सम्मानों से अलंकृत किया गया है, जिनमें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल शामिल हैं। इसके साथ ही उन्हें प्रतिष्ठित 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' (Sword Of Honor) भी मिली थी।