नई दिल्ली (ब्यूरो): आप वक्त पर टैक्स अदा करते है। एक साधारण पृष्ठभूमि (Simple background) से संबंध रखते है। देश और देश के संविधान में आपकी पूर्ण आस्था है। बावजूद इसके अगर हम आपसे ये कहे कि, आप पर सरकारी एजेंसियों (government agencies) की निगाहें चौबीसों घंटे बनी हुई है। आप कब अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे है। जिम कब जा रहे है। सामान खरीदते वक़्त किस कार्ड से कितनी पेमेंट कर रहे है और क्या-क्या सामान ले रहे। आखिरी बार बीमार कब पड़े थे। किस डॉक्टर से किस बीमारी का इलाज़ करवाया। आपकी मौजूदा फाइनेंशियल हालात (Financial conditions) क्या है। अब इन सबकी जानकारी सरकार के पास होगी।
आरटीआई से हासिल दस्तावेज बताते है कि- केन्द्र ऐसी योजना का खाका खींचने जा रहा है। जिससे आपकी निजी और गोपनीय जानकारियां (Private and confidential information) सरकार को बेहद सहज़ तरीके से हासिल होगी। इसके लिए प्रत्येक नागरिकों के आधार का इस्तेमाल किया जायेगा। जिससे ट्रैकिंग (Tracking) की प्रक्रिया को अन्ज़ाम दिया जायेगा। मोदी सरकार ऐसा डेटाबेस बनाने जा रही है। जिससे सरकारी एजेंसियां प्रत्येक नागरिक पर चौतरफा नज़रे बनाये रखेगी। फिलहाल ये योजना अपने आखिरी चरणों से गुजर रही है। इसके तहत देशभर के 1.2 बिलियन से ज़्यादा नागरिकों के ज़िन्दगी के हर पहलू को सरकार ट्रैक कर सकेगी। फिलहाल इससे जुड़े अघोषित दस्तावेज़ (Undisclosed document) हाफ़िंगटन पोस्ट (Huffington post) के हाथ लगे है। जिसकी समीक्षा (Review) की जा रही है।
अगर ये व्यवस्था अमली जामा पहनती है तो, हर नागरिक की निजी और छोटी से छोटी जानकारी तक सरकारी पहुँच होगी। तकनीकी तौर पर इस आधुनिक डेटाबेस (Modern database) की कोई सीमा नहीं होगी। साथ ही ये इन्टरपोर्टबिलिटी (Interoperability) से भी लैस होगा। यानि कि जरूरत पड़ने पर नागरिक से जुड़ी जानकारियां को किसी भी विभाग तक पहुँचाया जा सकेगा। जानकारियां एकत्र करने और श्रेणीबद्ध करने का जिम्मा मास्टर डेटाबेस (Master database) को होगा। 4 अक्टूबर, 2019 को नीति आयोग (NITI Aayog) के विशेष सचिव (Special Secretary) की अगुवाई में प्रस्तावित किया गया कि, देश प्रत्येक आवास की जियो टैगिंग (Geo tagging) की जायेगी। इस काम को अन्ज़ाम देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के भुवन का इस्तेमाल किया जायेगा। भुवन इसरो द्वारा निर्मित वेब-आधारित भू-स्थानिक पोर्टल (Web-based geospatial portal) है।
सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) करने के नाम पर सरकार निजी जानकारियों जैसे कि धर्म, जाति, आय, संपत्ति, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, रोजगार,शारीरिक दिव्यांगता, वंशवृक्ष आदि को एकीकृत कर आधार डेटाबेस से जोड़ देगी। दिलचस्प है जिस SECC का हवाला देकर निजी आंकड़े (Personal data) इकट्ठा किए जाएंगे, उसका कोई संवैधानिक प्रावधान (Constitutional provision) नहीं है। भारतीय जनगणना अधिनियम 1948 (Indian Census Act 1948) ऐसा कोई विवरण नहीं है, जिससे गोपनीयता सुनिश्चित हो सके। इस कवायद को साल 2021 में बतौर पायलट प्रोजेक्ट (Pilot project) शुरू किया जाएगा। जिससे मिलने वाले नतीजों का विश्लेषण (Analysis of results) हो सकेगा।
हफिंगटन पोस्ट इंडिया के पास सरकार द्वारा बनाए जा रहे हैं इस डेटाबेस से जुड़ी फाइल नोटिंग्स, मीटिंग मिनट्स और इंटरडिपेक्टोरल पत्राचार उपलब्ध है। विशेषज्ञ समिति (Expert committee) ने आधार अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है। जिससे साल 2018 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Honorable Supreme Court) के फैसले को रद्द किये बिना ही सरकार की सीधी पहुंच में होगी। यह खबर ऐसे वक़्त में सामने आई है। जब देश भर में एनआरसी, सीएए और एनपीआर को लेकर बवाल मचा हुआ है। गोपनीयता विशेषज्ञ (Privacy expert) बताते है कि, सरकार जिस तरह के अपारदर्शी एल्गोरिदम (Opaque algorithms) का इस्तेमाल करके डेटाबेस बना रही है। उससे सरकार मनमाने ढ़ंग से किसी को भी गैर-नागरिक घोषित कर सकती है।
इस परियोजना का समन्वय ग्रामीण विकास मंत्रालय कर रहा है। साथ ही शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, गृहमंत्रालय के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) और भारत के जनगणना आयुक्त भी इस परियोजना का खाका खींच रहे है। गौरतलब है कि जुलाई 2015 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने नागरिकों के सामाजिक आर्थिक आंकड़ों (Socio economic data) का खुलासा किया था। लेकिन पॉलिटिकल माइलेज (Political mileage) देने वाली जातियों से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक करने से परहेज कर लिया था।
यानि कि कुल मिलाकर आपकी हर गतिविधि, आपकी सामाजिक जनसांख्यिकीय, निजी जानकारी, आपकी बॉयोमैट्रिक जानकारियां, लोकेशन ट्रैकिंग केन्द्र सरकार की मर्जी से कोई भी सरकारी एजेंसी कर सकेगी।
Image Courtesy: https://vgsensory.be/
(नोट: ये स्टोरी हाफिंगटन पोस्ट के लिए कुमार संभव श्रीवास्तव ने की है। किसी तरह के विवाद की स्थिति में इसके अंग्रेजी मूल के संस्करण को ही अन्तिम माना जायेगा)