विपक्ष के कड़े विरोध के बीच राज्यसभा ने बीते मंगलवार (21 दिसंबर 2021) को चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 (Election Laws Amendment Bill 2021) पारित कर दिया। नया विधेयक फर्जी मतदाताओं की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिये आधार नंबर को मतदाता सूची डेटा से जोड़ने की मंजूरी देगा। लोकसभा में सोमवार (20 दिसंबर 2021) को चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पहले ही पारित हो चुका था।
ये विधेयक भारत के चुनाव आयोग की सिफारिशों पर लाया गया था। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के मुताबिक आधार को वोटर आईडी (Voter Id) से जोड़ने से मतदाता की पहचान प्रमाणित करने के लिये ये अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध होगा।
ये विधेयक चुनाव आयोग (Election commission of India-ECI) को आधार कार्ड से मतदाता पहचान पत्र (Voter Id Card) के साथ स्वैच्छिक तौर पर जोड़ने के साथ आगे बढ़ने में सक्षम करेगा। इसकी कवायदें चुनाव आयोग ने साल 2015 में ही शुरू कर दी थी और तब इसे रोक दिया गया था, उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने इससे जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को पूछा था।
हालांकि कुछ विपक्षी दलों ने चिंता जतायी है कि आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने से गोपनीयता भंग होगी और बड़े पैमाने पर लोग मताधिकार से वंचित रह जायेगें।
आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से बड़ा ये होगा कि वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर डुप्लिकेट मतदाता हट जायेगें। मौजूदा सिस्टम के तहत चुनाव आयोग इस काम के लिये डीडुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, फोटो रिकग्निशन सॉफ्टवेयर और बीएलओ द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन का इस्तेमाल करता है।
चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 में विभिन्न चुनावी सुधार शामिल हैं जिन पर लंबे समय से चर्चा हो रही है। वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन (Voter list Registration) ऐसे व्यक्ति द्वारा आवेदन के आधार पर किया जाता है, जो मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के योग्य है। नया आवेदक पहचान की मकसद से आवेदन के साथ स्वेच्छा से आधार संख्या दे सकता है। संशोधित प्रावधानों के मुताबिक अगर आधार नंबर मुहैया नहीं करवायी गयी है तो कोई भी नया आवेदन नामंजूर नहीं किया जायेगा।
आधार को वोटर लिस्ट से जोड़ने से उन लोगों की काफी आसानी से पहचान हो सकेगी जिनका कई जगह वोटर लिस्ट में नाम है। आरपी अधिनियम की धारा 14 में संशोधन से पात्र लोगों को मतदाता के तौर पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए चार तारीखों को तय किया गया है। अब तक हर साल की 1 जनवरी एकमात्र योग्यता तिथि माना जाता था।
यानि कि जो लोग 1 जनवरी को या उससे पहले 18 वर्ष के हो जाते हैं वो मतदाता के तौर पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
इसके बाद 18 वर्ष के होने वालों को मौजूदा सिस्टम के तहत मतदाता के तौर पर पंजीकरण करने के लिये पूरे एक साल तक इंतजार करना पड़ता था। नये प्रावधानों के मुताबिक 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 साल की उम्र पूरे कर चुके लोग अपना मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिये आवेदन दे सकते है। आरपी अधिनियम, 1950 की धारा 20 और आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 60 में संशोधन से सर्विसमैन वोटर्स के लिये चुनाव जेंडर न्यूट्रल (Gender Neutral) हो जायेगा। इस संशोधन से 'पत्नी' शब्द को 'स्पाउस' शब्द से बदलने में भी मदद मिलेगी, जिससे कि ये जेंडर न्यूट्रल हो जायेगा।