Yogendra Singh Yadav: परमवीर चक्र विजेता योगिंदर सिंह यादव सेना से हुए रिटायर, सेना ने दी शानदार विदाई

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर योगिंदर सिंह यादव (Subedar Major Yoginder Singh Yadav) को आज (1 जनवरी 2021) उनकी रिटायरमेंट पर सेना से पारंपरिक विदाई मिली। उन्हें माला और गुलदस्ते भेंट किये गये। इस पर ऑर्मी ट्रेनिंग कमान (Army Training Command) ने ट्विटकर लिखा कि- “भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नायक, सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगिंदर सिंह यादव परम वीर चक्र (Param Vir Chakra) को स्थापित सैन्य परम्पराओं के तहत विदाई दी। राष्ट्र हमेशा उनकी वीरता के लिये आभारी रहेगा।”

बता दे कि देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यादव को मानद कैप्टन के पद से नवाजा है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि, “75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सूबेदार मेजर (मानद लेफ्टिनेंट) योगेंद्र सिंह यादव परम वीर चक्र को भारत के राष्ट्रपति द्वारा मानद कप्तान के पद से सम्मानित किया गया।”

मंत्रालय के मुताबिक यादव को 4 जुलाई 1999 को हुए कारगिल युद्ध (kargil war) के दौरान उनकी अद्वितीय पराक्रम के लिये सम्मानित किया गया था, जब उन्होंने टाइगर हिल (Tiger Hill) पर तीन रणनीतिक बंकरों (Strategic Bunkers) पर कब्जा करने के लिये 18 ग्रेनेडियर्स (18 Grenadiers) की घातक कमांडो प्लाटून (Ghatak Commando Platoon) का नेतृत्व किया। ये बड़ी जिम्मेदारी उन्होनें स्वेच्छा से अपने कंधों पर उठायी थी। वो ऊंची बर्फीली चोटियों पर सीधी चढ़ायी में चढ़ रहे थे। ऊंची चढ़ाई चढ़ने पर ही उनकी प्लाटून दुश्मनों की निगाहों मे आ गयी। जिसके बाद दुश्मनों ने मशीन गन और रॉकेट फायर कर दिया। भारी हथियारों के हुई गोलाबारी के बीच तीन गोलियों की चपेट में आने के बावजूद ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव चढ़ते रहे चोटी पर पहुँच गये। इसके बाद उन्होनें एक हथगोला फेंका जिससे पाकिस्तानी बंकर (Pakistani Bunker) तबाह हो गया और चार पाकिस्तानी सैनिक मौके पर ही मारे गये।

उनके इस अदम्य साहस के कारण बाकी पलटन के लिये चोटी पर चढ़ने का रास्ता साफ हो गया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव सात सैनिकों के साथ दूसरे बंकर की ओर बढ़े। इस दौरान कई अहम पाकिस्तानी पोस्टें भारतीय सेना के पास आ गयी। इस दौरान ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव 15 गोलियों लगी, दो हथगोले से हुए हमले में उनके पेट के निचले हिस्से में उन्हें गंभीर चोटें आयी। साथ ही उनकी चमड़ी बुरी तरह जलकर लटक गयी।

इस बेजोड़ बहादुरी के लिये उन्हें युद्ध के दौरान दिये जाने वाले सर्वोच्च वीरता सम्मान परम वीर चक्र से नवाज़ा गया। जिसके बाद वो खुद जीती जागती कहानी बन गये। सशस्त्र बलों में उनकी बहादुरी की दास्तानें मशहूर हो गयी।  सूबेदार मेजर (मानद लेफ्टिनेंट) योगेंद्र सिंह यादव उन 1,695 जूनियर कमीशंड अधिकारियों में से एक हैं, जिन्हें देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मानद कैप्टन के पद से सम्मानित किया गया था।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More