नई दिल्ली (हेल्थ डेस्क): Practical Study: लंबे समय से ये सवाल उठता रहा है कि जब हम दो अलग-अलग कोविड-19 टीकों को मिलाते हैं तो क्या होता है और ये किसी व्यक्ति को टीका लगाने के लिये कितने सुरक्षित या उपयोगी हैं? हैदराबाद के एक अस्पताल ने इस मामले को लेकर प्रैक्टिकल स्टडी की है, जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द ही इन सवालों का ठोस ज़वाब मिल सकता है।
एशियन हेल्थकेयर फाउंडेशन (Asian Healthcare Foundation) के शोधकर्ताओं के साथ एआईजी हॉस्पिटल्स (AIG Hospitals) द्वारा किये गये अध्ययन से पता चला है कि दो कोविड-19 टीकों मुख्य तौर से कोविशील्ड और कोवैक्सिन (Covaxin and Covishield) की दो खुराक मिलने से कोरोना के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक क्षमता चार गुना ज़्यादा बढ़ जाती है।
इस मामले पर एआईजी ने अपनी प्रेस रिलीज़ में कहा कि- एंटीबॉडी रिएक्शन (Antibody Reaction) की जांच के साथ-साथ कोविशील्ड और कोवैक्सिन के मिश्रण की सुरक्षा प्रोफ़ाइल निर्धारित करने के लिये ये स्टडी की गयी थी। इससे पता चला है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन का कॉम्बिनेशन बिल्कुल सुरक्षित है और इसका किसी भी पार्टिसिपेंट (Participant) पर कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता है।
एआईजी अस्पताल के अध्यक्ष डी नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक, इस स्टडी की सबसे अहम खोज ये थी कि एक तरह के वैक्सीन ग्रुपों के मुकाबले मिक्स्ड वैक्सीन ग्रुपों (Mixed Vaccine Groups) में पाये जाने वाले स्पाइक-प्रोटीन न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी (Spike-protein neutralizing antibody) काफी ज़्यादा थे। जैसा कि केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों, बुजुर्गों और कमजोर आबादी के लिये ‘प्रिवेंटिव वैक्सीन’ खुराक को मंजूरी दी है, उपलब्ध टीकों को मिलाने से पैदा हुई क्रॉस-इम्यूनिटी (Cross-Immunity) का पता लगाना अहम है।
इस तरह हुई स्टडी
अध्ययन के लिये SARS-CoV-2 एंटीबॉडी के लिये कुल 330 सेहतमंद वॉलंटियर्स का सिलेक्शन किया गया और उनकी जांच की गयी। इन 330 वॉलंटियर्स को पहले टीका नहीं लगाया गया था और उनका कोविड-19 इंफेक्शन का कोई इतिहास नहीं था।
13% या 44 प्रतिभागियों को सेरोनिगेटिव (Seronegative) पाया गया, जिसका मतलब है कि उनके पास कोविड से जुड़े एंटीबॉडी नहीं थे। 87% प्रतिभागी जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था और उनका कोई भी टेस्ट कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया। उनमें कोविड से जुड़े एंटीबॉडी थे।
इसका मतलब है कि डेल्टा वेरियंट (Delta Variant) के कारण या दूसरी लहर की वज़ह से हमारी आबादी में अहम तौर पर एंटीबॉडी विकसित हो सकती हैं।
ये था स्टडी मॉडल
44 प्रतिभागियों को चार ग्रुपों में बांटा गया।
समूह 1 – कोविशील्ड की पहली खुराक + कोविशील्ड की दूसरी खुराक
समूह 2 – कोवैक्सिन की पहली खुराक + कोवैक्सिन की दूसरी खुराक
समूह 1 और 2 एक ही वैक्सीन से जुड़े समूह थे, जिन्हें एक ही टीका दिया गया था और संबंधित एंटीबॉडी टाइटर्स की जाँच की गई थी।
समूह 3 – कोविशील्ड की पहली खुराक + कोवैक्सिन की दूसरी खुराक
समूह 4 – कोवैक्सिन की पहली खुराक + कोविशील्ड की दूसरी खुराक
समूह 3 और 4 अलग-अलग टीके समूह थे, जिन्हें अलग टीके दिये गये थे और एंटीबॉडी टाइटर्स की जाँच की गयी। इन सभी 44 पार्टिसिपेंट को 60 दिनों तक गहन मेडिकल निगरानी में रखा गया। साथ ही ये देखा गया कि किसी पर कोई साइड इफैक्ट (Side Effect) ना पड़े।
ये निकला स्टडी का नतीज़ा
स्टडी में निर्णायक तौर पर पाया गया कि टीकों को मिलाना बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि किसी भी पार्टिसिपेंट में किसी तरह का कोई साइड इफैक्ट नहीं पाया गया। मिले जुले मिक्सड वैक्सीन वाले ग्रुप में पाये जाने वाले स्पाइक-प्रोटीन न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी काफी ज़्यादा थी, एक जैसी वैक्सीन दिये जाने वाले ग्रुप के मुकाबले।
स्पाइक-प्रोटीन न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी वो हैं जो कोविड-19 वायरस को मारते हैं और पूरी तरह से संक्रामकता को कम करते हैं। एक ही टीके की दो खुराक के मुकाबले में स्पाइक-प्रोटीन एंटीबॉडी रिएक्शन चार गुना ज़्यादा था। माना जाता है कि ओमिक्रोन वेरियंट (Omicron variant) में स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज़्यादा म्यूटेंट होते हैं, जो इसे टीकों से बचने और तेजी से फैलने में सक्षम बनाता है। अगर बूस्टर डोज (Booster Dose) देने में इस नियम को अमल में लाया जाता है तो इस बात पर लगातार नज़रे बनाये रखनी होगी कि किसी पर कोई साइड इफैक्ट तो नहीं पड़ा।
इस साइंटिफिक स्टडी के नतीज़े बताते हैं कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन का मिश्रण उच्च एंटीबॉडी रिएक्शन देता है और साथ ही ये सुरक्षित भी है। अध्ययन के डेटा को रेफरेंस स्टडी (Reference Study) के लिये भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) के साथ साझा किया गया है।