नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पूर्व सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव (SP supremo Mulayam Singh Yadav) मुसीबतों में घिरते नज़र आ रहे है। मामला आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा है। फिलहाल ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। बता दे कि हाल ही में कई चुनावी रैलियों, इंटरव्यूह कार्यक्रमों और राजनीतिक मंचों पर अखिलेश यादव ने खुलेतौर पर दावा किया कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report) दाखिल कर दी है। इसी बेबुनियादी दावे के दम पर सपा खुद को पाक साफ बताते हुए जोर-शोर से चुनावी प्रचार में जुटी हुई है।
दूसरी ओर जैसे ही ये बात मामले के मुख्य याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी (Main petitioner Vishwanath Chaturvedi) के पास पहुँची तो उन्होनें सच का खुलासा करने के लिये नई दिल्ली दीनदयाल मार्ग स्थित राऊज एवेन्यू सीबीआई कोर्ट (Rouse Avenue CBI Court) में याचिका दायर की ताकि इस झूठ का फैलने से रोका जा सके और विशेष सीबीआई अदालत साफ कर दे कि मामले में सीबीआई की ओर से किसी भी तरह की कोई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नहीं की गयी है। याचिका दायर होते ही सीबीआई जज अंबिका (CBI Judge Ambika) ने मामले की सुनवाई करने के लिये शनिवार (15 जनवरी 2022) की तारीख मुकर्रर कर दी।
नाम ना बताने की शर्त कोर्ट से जुड़े एक सॉलिसिटर (Solicitor) ने दावा किया कि याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी द्वारा सौंपे गये सबूतों और याचिका की दलीलें काफी मजूबत है, जिनकी बुनियाद पर मुलायम सिंह यादव के खिलाफ फैसला आना लगभग तय है। मामले से जुड़े सुनवाई वर्चुअल मोड (Virtual Mode) में होगी, जिसके लिये सीबीआई कोर्ट ने विशेष व्यवस्था कर ली है। विश्वनाथ चतुर्वेदी के मुताबिक सीबीआई ने साल 2009 के दौरान अज्ञात शख़्स को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी। दर्ज एफआईआर के मुताबिक मीडिया में हवा बनायी गयी कि सीबीआई कोर्ट ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट माननीय न्यायालय में दाखिल कर दी है, जबकि ये तथ्य पूरी तरह अभी भी बेबुनियादी है।
गौरतलब है कि साल 2007 में मुलायम सिंह यादव और उनके कुनबे के कई लोगों पर सीबीआई में खुलासा किया था कि चुनावी हलफनामें (Election Affidavits) में दर्ज उनकी घोषित संपत्ति के कई गुना ज़्यादा संपत्ति उनके पास है। दूसरी ओर सपा सुप्रीमो अखिलेख यादव मौजूदा चुनावी माहौल में ये दावा कर रहे है कि सीबीआई में मामले में जांच को बंद करते हुए मामले में छानबीन बंद करने के लिये क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। जिससे वो, नेता जी और पूरा परिवार साफ-पाक हो जाता है। दूसरी याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने दलील दी है कि मामला अभी जांच प्रक्रिया से गुजर रहा है। सीबीआई ने इस मामले में कभी भी न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट दायर नहीं की है। साथ ही जांच एजेंसी अभी भी एफआईआर के तथ्यों पर कायम है।
चुनावी माहौल (Election Environment) के बीच अगर सीबीआई जज अंबिका की कोर्ट ने मामले में साफ कर दिया कि मामले में किसी तरह की कोई क्लोजर रिपोर्ट दायर नहीं की है तो सपा की मौजूदा छवि को भारी नुकसान पहुँचना तय है।