Car Airbags: केंद्र सरकार लेकर आयी 6 एयरबैग का नियम, जाने इस बारे में

न्यूज डेस्क (राम अजोर): अब आपकी नयी कार कम से कम छह एयरबैग (Airbags) के साथ आ सकती है क्योंकि केंद्र सरकार ने आठ यात्रियों तक ले जाने वाले वाहनों के लिये इस मामले में एक मसौदा अधिसूचना (Draft Notification) को मंजूरी दी है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहले भी सभी कार प्रोडक्शन कंपनियों (Car Production Companies) को इस नियम को मानने के लिये आग्रह किया था।

एयरबैग असल में ज़िन्दगी और मौत से जुड़ा सवाल है। इसके पीछे अहम वज़ह भारत में सड़क सुरक्षा में सुधार के लिये कोशिशें शुरू करना है। सड़क सुरक्षा (Road Safety) के मामले में भारत का रिकॉर्ड दुनिया में सबसे खराब है। साल 1987 से 2017 तक यूएस नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (NHTSA) ने अनुमान लगाया कि सिर्फ फ्रंट एयरबैग ने अमेरिका में 50,457 लोगों की जान बचायी जा सकी।

फिलहाल केंद्र सरकार ने इस नियम को मानने के लिये कोई टाइमलाइन निर्धारित नहीं की है, जब कार प्रोडक्शन कंपनियां इस नियम को मानने के लिये बाध्य होगी। गौरतलब है कि ड्राइवर और यात्री के लिये दोहरे एयरबैग इस जनवरी महीने में सभी वाहनों पर अनिवार्य हो गये हैं। 1 जुलाई 2019 से सभी यात्री वाहनों के लिये ड्राइवर एयरबैग अनिवार्य हो गया था।

अतिरिक्त एयरबैग के प्रस्ताव को ‘एम1’ वाहन श्रेणी में अनिवार्य किया जाना है। इसका मकसद आगे और पीछे दोनों तरफ बैठे लोगों पर माथे और पीठ पर ऐक्सीडेंट का कम से कम असर हो। दो साइड या साइड टोरसो एयरबैग (Side Torso Airbag) और दो साइड कर्टेन या ट्यूब एयरबैग के लिये एयरबैग अनिवार्य किया जायेगा तो सभी आउटबोर्ड यात्रियों को इसी सुरक्षा का कवर मिलेगा।

इसके साथ ही इस नियम के प्रावधान से सवारों को स्टीयरिंग व्हील (Steering Wheel), डैशबोर्ड, फ्रंट ग्लास और ऑटोमोबाइल के अन्य हिस्सों के संपर्क में आने से रोककर टक्करों के असर को कम करेगा। श्रेणी एम यात्रियों को ले जाने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले कम से कम चार पहियों वाले मोटर वाहनों को कवर करती है।

‘एम1’ यात्रियों को ले जाने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले उस वाहन को परिभाषित करता है, जिसमें ड्राइवर की सीट के अलावा आठ से ज़्यादा सीटें नहीं होती हैं। आमतौर पर इस तरह के वाहनों का इस्तेमाल फ्लीट ऑपरेटर (Fleet Operator) करते है, जो कि अपनी गाड़ियों का कर्मिशियल इस्तेमाल करते है।

साफ है कि इस नियम के लागू होने से गाड़ियों में कार कंपनियां ज़्यादा एयरबैग लगायेगी, जिससे बजट कारों की लागत बढ़ जायेगी। एंट्री-लेवल कार में फ्रंटल एयरबैग की कीमत आमतौर पर 5,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच होती है। साइड और कर्टेन एयरबैग (Side And Curtain Airbags) की कीमत दो एयरबैग की कीमत के दोगुने से भी ज़्यादा हो सकती है।

छह एयरबैग वाली कार की कीमत 50,000 रुपये तक हो सकती है, जो कि 3 लाख-3.5 लाख रुपये की कैटिगिरी वाली कारों पर अपना सीधा असर डाल सकती है। भारत में ज़्यादातर कार निर्माता जो छह एयरबैग की पेशकश करते हैं, वो सिर्फ टॉप एंड मॉडल में और 10 लाख रुपये से ऊपर के मॉडल में ये सुविधा मुहैया करवाते है।

कई एन्ट्री लेवल के मॉडल जो कि खासतौर से भारत जैसे बाजारों के लिये डिज़ाइन किये गये हैं और उन्हें फिर से इंजीनियरिंग की जरूरत हो सकती है।एक्सट्रा एयरबैग लगाने के लिये कारों के मॉडल को रि-डिज़ाइन करना पड़ेगा। एक्सट्रा एयरबैग (Extra Airbags) लगाने के लिये बॉडी शेल और इंटीरियर (Body Shell And Interior) में बदलाव करना होगा। दूसरा मुद्दा वक़्त से जुड़ा हुआ है क्योंकि इंडियन ऑटो इंडस्ट्री मौजूद दौर में सख्त बीएस 6 उत्सर्जन मानदंडों की ओर तेजी से बढ़ रही है।

ऑटो उद्योग पहले से ही बढ़ते इनपुट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कड़े उत्सर्जन मानदंडों (Stringent Emission Norms) से जूझ रहा है। कार प्रोडक्शन कंपनियों का तर्क है कि कंज्यूमर को वो मिलता है जिसके लिये वे पेमेंट करते हैं और बहुत कम लोग सुरक्षित कार के लिये ज़्यादा खर्च करना चाहते हैं।

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