इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की रिपोर्ट के मुताबिक वास्तविक हालात बहुत चिंताजनक है। अकेले केरल में लगभग 7 मिलियन नागरिक Covid-19 के जोखिम से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही देश के दूसरे हिस्सों का अन्दाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। सरकार को इस घातक खतरे (Fatal danger) के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, नहीं तो एक महीने के भीतर ही देश इस महामारी (Epidemic) का नया केंद्र बन जाएगा। मीडिया राजनीतिक रूप से बहुत ही चमकदार छवि का पेश कर रहा है, लेकिन ज़मीनी हालात (Ground conditions) दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे है। सरकार द्वारा बनाये गये आइसोलेशन वॉर्ड (Isolation ward) और क्वारंटिन (Quarantine) केन्द्र बहुत ही खराब है, और वहाँ पर अस्वच्छता का माहौल है। ब्लैकमार्केटर्स (Blackmarketers) ने व्यवस्था में बैठी जोकों के साथ गठजोड़ कर लिया है, ताकि जरूरी वस्तुयें आम आदमी तक पहुँचाने में मुनाफाखोरी (Profiteering) की जा सके। सभी निजी अस्पतालों, क्लीनिकों और परीक्षण प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीयकरण (Nationalization) किया जाना चाहिए ताकि चिकित्सा सहायता (Medical help) ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँच सके। हाशिये पर जी रहे लोगों तक मेडिकल सुविधायें पहुँच सके। सख़्त जांच और संतुलन स्थापित करते हुए व्यवस्था को सुनिश्चित करना चाहिए कि इलाज़ सुविधायें सभी जरूरतमंद नागरिकों (Needy citizens) तक पहुँच पाये, कोई इनसे वंचित ना रहने पाये। इन उभर रहे भंयकर हालातों के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के साथ खड़े होने की जरूरत है। इस आपदा के खिलाफ मजबूती लड़ना होगा।
वायरस ने खोली व्यवस्था की पोल
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