राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को एक नयी चिंता सता रही है। उनकी नई चिंता ये है कि ट्विटर पर उनके फॉलोवर्स कम हो रहे हैं, और उन्हें शक है कि ट्विटर इंडिया (Twitter India) केंद्र सरकार के दबाव में उनके फॉलोवर्स को कम कर रहा है। अब राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए ट्विटर के सीईओ को एक खत लिखा है, जिसमें उन्होंने शिकायत की है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर उनकी लोकप्रियता को जानबूझकर दबाया जा रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि राहुल गांधी को ईमानदारी से अपनी लोकप्रियता को जांचना चाहिये।
उन्हें अपने फॉलोवर्स (Followers) के जाने की चिंता करने की बजाय ये सोचना चाहिये कि उनकी पार्टी और उसके सहयोगी दलों के बड़े नेता उनका साथ छोड़कर क्यों जा रहे हैं? वो लिखते हैं कि जुलाई 2021 तक ट्विटर पर उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। लेकिन इसके बाद उन्हें फॉलो करने वाले नये लोगों की तादाद एकाएक शून्य हो गयी। जबकि जो पहले से उन्हें फॉलो कर रहे थे, वो भी चले गये। पिछले साल अगस्त में ही उन्होंने 54,803 फॉलोअर्स खो दिये। और ये सिलसिला सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के महीनों में भी जारी रहा।
इस दौरान ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को फॉलो करने वालों की तादाद में करीब 30 लाख का इजाफा हुआ। और राहुल गांधी मानते हैं कि इसके पीछे असली वजह केंद्र सरकार का दबाव है। लेकिन क्या ये मुमकिन है? क्योंकि इस पर ट्विटर ने अपनी सफाई भी दी है।
ट्विटर की अपनी नीति के तहत आपत्तिजनक पोस्ट (Objectionable Post) के लिये वो किसी भी अकाउंट को सस्पेंड कर सकता है। ट्विटर कई मौकों पर खातों को ब्लॉक भी कर सकता है, वेरिफिकेशन के लिये फोन नंबर या ईमेल आईडी को अपडेट करने के लिये कॉल कर सकता है। ये कंपनी की नीति का हिस्सा है। राहुल गांधी को ट्विटर से मिले जवाब में यही कहा गया है कि फॉलोअर्स की गिरावट के पीछे कोई साजिश नहीं है।
ट्विटर ने कहा है कि वो समय-समय पर फर्जी अकाउंट डिलीट (Fake Account Delete) करता रहता है। और शायद इसी प्रक्रिया के तहत राहुल गांधी के कुछ फर्जी फॉलोअर्स को भी हटा दिया गया है। ट्विटर फर्जी खातों की पहचान करने के लिये किसी कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगाता है। बल्कि ये काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) की मदद से किया जाता है। ऐसे में सरकार की ओर से किसी तरह के दबाव का सवाल ही नहीं है।
यहां एक बात यह भी है कि राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल से जिन लोगों को हटाया गया, उनमें से एक भी फॉलोअर ने शिकायत नहीं की। राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल संभालने वाली टीम और कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम (Congress Social Media Team) को ऐसा कोई फॉलोअर नहीं मिला। यानि समस्या ट्विटर में नहीं बल्कि राहुल गांधी के सोचने के तरीके में है।
दरअसल राहुल गांधी को ट्विटर पर फॉलोअर्स की तादाद से ज्यादा वोटरों की घटती संख्या को लेकर चिंतित होना चाहिये, लेकिन राहुल गांधी ऐसा नहीं करते। बल्कि खुद में झांकने के बजाय वो बहाने ढूंढता हैं। चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी हारती है तो चुनाव आयोग पर सवाल खड़ा करती है। वोट कम होते हैं तो ईवीएम (EVM) पर सवाल उठाये जाते हैं और जब ट्विटर पर भी ऐसा ही होता है और उनकी लोकप्रियता कम होने लगती है तो वे इसे ट्विटर पर केंद्र सरकार के दबाव के रूप में देखने लगते हैं।
राहुल गांधी को आज सोचना चाहिये कि उनके साथी उन्हें क्यों छोड़ रहे हैं? 2014 से सितंबर 2021 के बीच 222 नेताओं ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी, जिसमें 177 पूर्व सांसद या विधायक शामिल हैं। लेकिन कभी इस बात पर शायद ही राहुल गांधी कभी चिंतित हुए हो।
राहुल गांधी को अपने घटते फॉलोअर्स की चिंता है, लेकिन उन्हें कांग्रेस पार्टी के घटते वोटों की चिंता नहीं है। साल 2009 में कांग्रेस पार्टी को 28.55 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि 2014 में ये वोट घटकर महज 20 फीसदी रह गये। और 2019 में भी ऐसा ही हुआ था।