हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): चीन में वैज्ञानिकों ने वैश्विक महामारी के तीसरे साल में कोविड -19 के एक नये स्ट्रेन की खोज की है, जिसे ‘नियोकोव’ वेरियंट (NeoCov Strain) कहा जाता है। उच्च मृत्यु दर (High Death Rate) और गंभीर लक्षणों के खतरों के साथ, वायरस के इस नये स्ट्रेन के सामने आने से दुनिया पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
चीनी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कोविड -19 का नियोकोव स्ट्रेन अभी तक खोजे गये वायरस का सबसे घातक स्ट्रेन (Lethal Strain) हो सकता है, और इससे बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक नियोकोव से संक्रमित तीन लोगों में से एक की मृत्यु हो सकती है, जिसकी वजह से असाधारण रूप से उच्च मृत्यु बढ़ सकती है।
वेब जर्नल बायोरेक्सिव (Web Journal Biorxiv) में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया। जिसके मुताबिक मौजूदा कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) इंसानों में इन वायरस के कारण होने वाले इंफेक्शन की किसी भी घटना से बचाने के लिये नाकाफी हैं।
जाने क्या है NeoCov Strain?
कोविड -19 स्ट्रेन पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक वायरस का नियोकोव वैरिएंट चमगादड़ों में पाया जाता है और अगर महामारी के अगले चरण में स्ट्रेन के और म्यूटेशन सामने आये तो इंसानों में मृत्यु दर ज़्यादा हो सकता है। बता दे कि नियोकोव नया कोविड -19 वेरियंट नहीं है, और ये पहली बार साल 2011 में चमगादड़ में पाया गया था। वुहान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा नियोकोव वेरियंट के बारे में जारी किये गये रिसर्च पेपर की अभी तक समीक्षा नहीं की गयी है और इसलिये इस पर अभी तक पुख़्ता जानकारी कहीं भी मौजूद नहीं है।
क्या हमें NeoCov के बारे में चिंतित होना चाहिये?
हालांकि वैज्ञानिकों के रिसर्च पेपर से पता चलता है कि नियोकोव कोविड-19 के सभी स्ट्रेनों में सबसे घातक हो सकता है, ये अभी तक इंसानों के बीच नहीं पाया गया है। इंसानों में नियोकोव का कोई संक्रमण नहीं हुआ है और इसलिये अभी तक घबराने की कोई बात नहीं है।
रिसर्च पेपर में आगे कहा गया कि अनुसार नियोकोव T510F म्यूटेशन (Mutation) के बाद इंसानों की ACE2 कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है, जिसका मतलब है कि ये अभी तक दूसरी प्रजातियों में ही पाया गया है। मौजूदा वक़्त में कोविड-19 के संभावित घातक नियोकोव वेरियंट के बारे में बहुत सारी परिकल्पनायें (Hypotheses) हैं, लेकिन इनमें से कोई भी निश्चित नहीं है।
इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नियोकोव स्ट्रेन को लेकर सार्वजनिक बयान जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। फिलहाल कयास लगाकर चिंता करना सरासर गलत होगा। फिलहाल अभी और शोध किया जाना बाकी है ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये स्ट्रेन वाकई चिंता का सबब़ बन सकता है या नहीं। इसके बाद ही साफ हो पायेगा कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientists) के वायरस को लेकर किये गये दावे कितना बड़ा खतरा हो सकते है। फिलहाल इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि वायरस का नियोकोव मनुष्यों में फैल सकता है?