अर्थी या शवयात्रा (Funeral Procession) किसी भी मनुष्य के जीवन का आखिरी पड़ाव होता है। इसके बाद मनुष्य का भौतिक शरीर (Physical Body) नष्ट हो जाता है और सूक्ष्म शरीर (Subtle Body) दूसरे लोक की यात्रा की ओर अग्रसर होता है। भले ही सभी बंधुबांधव इस दौरान विलाप करें लेकिन मनुष्य अंतहीन महाभाव (Endless Grandeur) में विलीन हो जाता है। ऐसे में अगर आप किसी अर्थी को जाते देखे तो बताये गये इन चारों कामों में से एक काम अवश्य ही करें।
पहला काम
अगर कोई व्यक्ति किसी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर पार्थिव शरीर (Mortal Remains) को कंधा देता है तो उसके पुण्य में बढ़ोतरी होती है। इस पुण्य के असर से पुराने पाप नष्ट होते हैं। इसी मान्यता के कारण ज़्यादातर लोग शवयात्रा में शामिल होकर पार्थिव शरीर को कंधा जरूर देते हैं।
दूसरा काम
अगर हम समय अभाव के कारण किसी अनजाने व्यक्ति की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सकते हैं तो जब शवयात्रा दिखे हमें रुक जाना चाहिये। पहले शवयात्रा को निकलने देना चाहियें। भगवान से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति देने की प्रार्थना करनी चाहिये।
तीसरा काम
जब किसी की अंतिम यात्रा दिखती है तो राम नाम का जाप करना चाहिये। “श्री रामचरित मानस” (Shri Ramcharit Manas) के अनुसार राम नाम के जाप से शिवजी अति प्रसन्न होते हैं। “शिवपुराण” (Shivpuran) में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा परमात्मा यानि शिवजी में ही विलीन हो जाती है, इस कारण शवयात्रा दिखे तो राम नाम का जाप (Chanting The Name Of Ram) करना चाहिये, इससे शिवजी की कृपा मिलती है।
चौथा काम
जब भी कहीं शवयात्रा दिखाई देती है तो हमें मौन हो जाना चाहियें। अगर हम कार या बाइक पर हैं तो ऐसे समय पर हॉर्न भी नहीं बजाना चाहिये। ये काम मृत व्यक्ति के प्रति आदर और सम्मान की भावना प्रकट करता है।