न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): NASA: आज भी वैज्ञानिकों के लिये अंतरिक्ष एक अनसुलझी पहेली है। अंतरिक्ष को बेहतर ढंग से समझने के लिये दुनिया भर के वैज्ञानिक इसकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए हैं। अंतरिक्ष के बारे में जानने की जितनी लालसा होती है, उससे कहीं ज्यादा खतरा भी जुड़ा होता है।
अक्सर हमें कई ऐसी खगोलीय घटनायें सुनने और देखने को मिलती हैं, जो धरती के लिये संकट पैदा कर देती हैं। इसी तरह खगोलविदों (Astronomers) ने एक और क्षुद्रग्रह (Asteroid) की खोज की जिसके बाद एक बार फिर पृथ्वी पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है, जो पृथ्वी की ओर अपना रास्ता बना रहा है और जिसे नासा ‘संभावित रूप से खतरनाक’ के तौर पर देख रहा है। क्षुद्रग्रह हमेशा से ही धरती और मानव जाति के लिये बड़ा खतरा रहे हैं।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी की ओर तेज रफ्तार से आ रहा है। इसको लेकर वैज्ञानिकों की ओर से डेटा भी जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि अगर ये मौजूदा रफ्तार से बढ़ता रहा और इसने अपनी दिशा नहीं बदली तो ये धरती के लिये बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
इसका आकार में 560 मीटर से 1.3 किलोमीटर के बीच है। 138971 (2001 CB21) नाम का ये क्षुद्रग्रह 4 मार्च को दोपहर 1.30 बजे धरती के 49 लाख किलोमीटर के करीब आयेगा और ये सूर्य की ओर अपना रास्ता बनायेगा। इटली के वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट (VTL- Virtual Telescope Project) के खगोलविद जियानलुका मासी (Astronomer Gianluca Masi) ने इस संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह की तस्वीर क्लिक की है, जो 26,800 मील प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL- Jet Propulsion Laboratory) के मुताबिक ये एस्ट्रोइड 400 दिनों में अपनी कक्षा पूरा करता है और इसके बाद ये धरती की ओर बढ़ेगा। ये खगोलीय परिघटना (Celestial Phenomenon) साल 2043 से पहले नहीं होगी। जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के अनुसार क्षुद्रग्रह 2001 CB21 के धरती की कक्षा के करीब आने का अनुमान है। ये 43,236 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ेगा।
नासा ने खुलासा किया कि इस आकाशीय पिंड ने आखिरी बार साल 2006 में धरती से 71 लाख किलोमीटर की दूरी पर दिख था। बता दे कि एक विशालकाय क्षुद्रग्रह के असर से मानव अस्तित्व का सफाया हो सकता है और इससे पहले भी ये खतरा सामने आ चुका है। एक क्षुद्रग्रह के असर से धरती से विशालकाय डायनासोर का वजूद खत्म हो गया था। ऐसे किसी भी खतरे से बचने के लिये खगोलीय घटनाओं पर नज़र रखना बेहद जरूरी है।