बिजनेस डेस्क (राजकुमार): देश की अब तक की ‘सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी’ के तौर पर जाना जाता है एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard)। इस बार देश की सबसे बड़ी निजी शिपयार्ड फर्म (Private Shipyard Firm) गलत वज़हों से चर्चा में घिरी हुई है। डूबती जहाज निर्माण कंपनी ने अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाले विपक्ष के बीच ज़ुबानी जंग तेज कर दी है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एबीजी शिपयार्ड पर 28 बैंकों से 22,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जिस कंपनी ने कभी भारतीय नौसेना, तटरक्षक और कई निजी जहाजों के लिये राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर जहाजों की आपूर्ति, मरम्मत और निर्माण किया था, अब वो भारत के इतिहास में सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी (Biggest Bank Fraud) करने के मामले में जांच से गुजर रही है।
गुजरात की इस फर्म के घोटाले के सामने पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) घोटाला और विजय माल्या का एसबीआई (SBI) वाला घोटाला बेहद बौना दिख रहा है। हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी (Nirav Modi and Mehul Choksi) ने पीएनबी (PNB) 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की लूट की, जबकि विजय माल्या (Vijay Mallya) ने एसबीआई की अगुवाई वाले कंसोर्टियम से कथित तौर पर 9,990 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
इस बीच अब सामने आये इस घोटाले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। कांग्रेस के लगाये गये आरोपों पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि आमतौर पर इस तरह के बैंक धोखाधड़ी का पता लगाने में 52 से 56 महीने लगते हैं, लेकिन मोदी सरकार के तहत जांच करने और कार्रवाई करने में कम समय लगता है।
ये है पूरा मामला
साल 2012 और 2017 के बीच गुजरात की एक फर्म एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Limited) ने बैंकों से कुल 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। ये मामला जनवरी 2019 में अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा अप्रैल 2012 और जुलाई 2017 के बीच की अवधि के दौरान किये फोरेंसिक ऑडिट के दौरान सामने आया।
एक नये तरीके से कंपनी ने एसबीआई, आईडीबीआई और आईसीआईसीआई (IDBI and ICICI) समेत 28 बैंकों के फेडरेशन को धोखा देने के लिये लेनदेन का एक जाल बनाया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने इन बैंकों से कर्ज लिया और फिर उन्हें डायवर्ट कर दिया। इसमें कथित तौर पर लोन की रकम से विदेशी सहायक कंपनियों में निवेश किया, संबद्ध कंपनियों के नाम पर संपत्तियां खरीदी।
सीबीआई जांच से ये भी पता चलता है कि कंपनी एबीजी एसएल ने कई जुड़े हुए पक्षकारों को मनी ट्रांसफर (Money Transfer) किया। जिस कंपनी का खाता 2013 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Asset) बन गया, उसने कॉर्पोरेट डेब्ट रिस्ट्रक्चरिंग (Corporate Debt Restructuring) के लिये बनी अपनी सिस्टम की शर्तों का उल्लंघन किया। बता दे कि सीडीआर (CDR Relief Mechanism) एक तरह का रिलीफ़ मैकेनिज़्म है, जिसके तहत लोन देने वाले बैंक या तो लोन पर ब्याज दरों को कम करते हैं या रिपेमेंट के वक़्त को बढ़ाते हैं।
मामले में खामियां
भारतीय स्टेट बैंक ने जनवरी 2019 में धोखाधड़ी की पहचान की, लेकिन उस साल नवंबर में ही शिकायत दर्ज की। अगस्त 2020 में बड़े पैमाने पर फिर से शिकायत दर्ज की गयी, लेकिन सीबीआई ने आखिरकार 7 फरवरी, 2022 को मामला दर्ज किया। सीबीआई ने इस साल बैंक धोखाधड़ी के तहत एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (ABG International Private Limited) के खिलाफ मामला दर्ज किया।
अब तक हुई ये कार्रवाई
फिलहाल एबीजी एसएल के पूर्व चेयरमैन और एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल और पूर्व कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने निदेशक अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया के खिलाफ भी मामला दर्ज किया।
बीते शनिवार (12 फरवरी 2022) को सूरत, भरूच, मुंबई और पुणे में 13 ठिकानों पर छापे मारे गये, जहां से आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।
इतनी है ठगी की रकम
एफआईआर के मुताबिक एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर अब देश के 28 बैंकों का कुल 22,842 करोड़ रुपये बकाया है। इसका आईसीआईसीआई (जो कंसोर्टियम की अगुवाई कर रहा था) पर 7,089 करोड़ रुपये, एसबीआई पर 2,925 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक का 3,639 करोड़ रुपये बकाया है।
कंपनी पर बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) का 1,614 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक पर 1,244 करोड़ रुपये, एक्ज़िम बैंक (Exim Bank) का 1,327 करोड़ रुपये बकाया है।
इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) पर 1,244 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India) पर 719 करोड़ रुपये का बकाया है।