कनाडा (Canada) में ट्रक ड्राइवरों के भारी प्रदर्शन के बीच वहां के लोकतंत्र की असल तस्वीर सामने आ चुकी है। जहां हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और हिंदू मंदिरों को तोड़ने और लूटने की घटनायें एकाएक बढ़ गयी हैं। इन सबके पीछे वजह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) हैं, जिन्होंने राजधानी ओटावा (Ottawa) में प्रदर्शन कर रहे ट्रक ड्राइवरों को हिंदू धर्म के स्वस्तिक चिन्ह से जोड़ा है।
कनाडा में अनिवार्य कोविड -19 टीकाकरण का विरोध करने वाले ट्रक चालक लगातार नाजी विचारधारा के झंडे लहरा रहे हैं, जिसे फासीवाद का प्रतीक माना जाता है। साल 1933 में जब एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) को जर्मनी (Germany) का चांसलर नियुक्त किया गया था, तब इस ध्वज को जर्मनी के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। और इसी वजह से कनाडा सरकार ट्रक चालकों के विरोध को राष्ट्रविरोधी बता रही है।
अब इस नाजी-वैचारिक ध्वज पर चिन्ह स्वस्तिक के आकार में है लेकिन कनाडा के प्रधान मंत्री ये जिक्र करना भूल गये होंगे कि ये चिन्ह स्वस्तिक जैसा दिखता है, लेकिन इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। नाजी विचारधारा का प्रतीक थोड़ा तिरछा है और इसे स्वास्तिक नहीं बल्कि ‘हकेनक्रेउज’ चिन्ह कहा जाता है, लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान से कनाडा में रहने वाले हिंदुओं को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है।
कनाडा में बीते 10 दिनों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनायें काफी तेजी से बढ़ी हैं। पिछले कुछ दिनों में 6 हिंदू मंदिरों को तोड़कर लूटने का भी प्रयास किया गया। लेकिन विडंबना देखिये कि आज कनाडा लोकतंत्र की सूची में 12वें पायदान पर है जबकि भारत का लोकतंत्र विश्व में 46वें स्थान पर है।
ये बड़ा अंतर्विरोध है कि जब भारत में किसानों के विरोध के दौरान खालिस्तान (Khalistan) का झंडा फहराया गया तो कनाडा ही नहीं बल्कि वहां के सांसद भी इसका समर्थन कर रहे थे, जो इसे लोकतांत्रिक मान रहे थे।
पीएम जस्टिस ट्रूडो ने भी 26 जनवरी 2021 को लाल किले (Red Fort) पर हुई हिंसा के बारे में कुछ नहीं कहा, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर एक विशेष धर्म का झंडा फहराया था, लेकिन अब जब उनके देश के प्रदर्शनकारी झंडे लहरा रहे हैं। नाजी विचारधारा के प्रतीकों को लादे हुए वो कह रहे हैं कि ऐसे लोग राष्ट्रविरोधी ताकतों से मिले हुए हैं।