तीसरे विश्वयुद्ध के हालातों के बीच Ukraine के तीन टुकड़े

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बिना युद्ध लड़े यूक्रेन (Ukraine) को तीन टुकड़ों में बांट दिया। रूस ने पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया है और कहा है कि वो अब उनकी रक्षा करेगा। व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) अमेरिका और पश्चिम से दुश्मनी लेकर अखंड रूस बनाने के अपने मिशन पर लगातार काम कर रहे हैं। सबसे पहले जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कल अपने खुफिया मामलों के प्रमुख से पूछा कि पूर्वी यूक्रेन के दो इलाको को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बारे में उन्होंने क्या सोचा तो वो साफतौर पर कुछ नहीं कह सके।

पुतिन नाराज हो गये और पूछा कि क्या उनके पास सीधा जवाब है? दरअसल रूस के खुफिया प्रमुख पुतिन से कहना चाहते थे कि यूक्रेन को शांति स्थापित करने का एक और मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन वो ऐसा कहने से डरते थे और इसलिए पुतिन नाराज हो गये। यूक्रेन के दो इलाके जिन्हें रूस ने स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में मान्यता दी है, पूर्वी यूक्रेन के साथ सीमा पर स्थित हैं। इन्हें डोनेट्स्क और लुहांस्क (Donetsk and Luhansk) कहा जाता है।

फिलहाल रूस ने इन दोनों जगहों पर अपनी सेना तैनात कर रखी है और यहां के लोग आजादी का जश्न मना रहे हैं। 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्रीमिया (Crimea) पर नियंत्रण कर लिया तो पूर्वी यूक्रेन में डोनेट्स्क और लुहान्स्क जैसे इलाकों में सरकारी भवनों और कार्यालयों पर भी विद्रोहियों का कब्जा था। यहाँ रूसी समर्थित संगठनों का शासन आया था।

लेकिन तब रूस ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत सिर्फ क्रीमिया को अपने देश में मिला लिया और इन इलाकों में विद्रोही समूहों को मान्यता नहीं दी। और ऐसा इसलिये है क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जानते थे कि अगर भविष्य में यूक्रेन पर फिर से नाटो देशों के साथ जाने का दबाव डाला गया तो वो इन दोनों इलाकों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करके एक बड़ा दांव लगा सकते है।

उन्होनें इसका इंतजार किया सही समय देखा और यूक्रेन पर इतना बड़ा हमला किया। हालांकि कई लोगों के मन में ये सवाल भी होगा कि रूस ने रातों-रात यूक्रेन को तीन टुकड़ों में कैसे काट दिया।

तो इस सवाल का उत्तर ये है कि इन दो इलाकों में लगभग 6.1 मिलियन लोग रहते हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत रूसी बोलते हैं। यानि ये इलाके यूक्रेन का हिस्सा थे, लेकिन यहां रहने वाले लोग रूस समर्थक हैं और इसीलिए रूस ने इतनी आसानी से यूक्रेन को अस्थिर कर दिया।

हालाँकि रूस का कहना है कि उसने यूक्रेन के इन इलाकों में शांति सेना (Peacekeeping Force) भेजी है, न कि लड़ाकू सेनायें और उसका मकसद यूक्रेन को नियंत्रित करना बिल्कुल भी नहीं है। जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस के इस कदम को युद्ध छेड़ने के बराबर बताया।

इस वक़्त हालात इतने नाजुक है कि नाटो देशों और रूस की सेना के बीच कभी भी जंग शुरू हो सकती है। पूरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब यूक्रेन ने नाटो (NATO) देशों का हिस्सा बनने के लिये राजनयिक कवायद शुरू की लेकिन रूस की मंशा अपने पड़ोसी देश को नाटो में शामिल होने देने की नहीं है, जो रूस को अपना दुश्मन मानता है।

एक तरफ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय देश हैं तो दूसरी तरफ चीन जैसे देश रूस के साथ खड़े हैं। इसलिए अगर कोई जंग होती है तो उसमें एक से ज़्यादा देश हिस्सा लेंगे।

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (European Union) ने कहा है कि वो रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं। प्रतिबंधों से ये संघर्ष और भी बढ़ेगा साथ ही जंग जैसे हाला भी पैदा हो सकते है।

आज अमेरिका और नाटो देशों ने अपनी पांच सैन्य टुकड़ियों को पोलैंड में तैनात कर दिया। इसके अलावा यूक्रेन में भारतीय दूतावास (Indian Embassy) ने भी एडवाइजरी जारी कर यूक्रेन में फंसे भारतीयों को देश छोड़ने को कहा है। एयर इंडिया की उड़ान मदद से 256 भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकाला गया।

इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपात बैठक भी हुई, जिसमें अमेरिका ने रूस पर कई गंभीर आरोप लगाये। अमेरिका ने कहा है कि रूस यूक्रेन पर आक्रमण कर सकता है और उस पर कब्जा कर सकता है। ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई मुल्कों ने भी रूस की मुखालफत की है और उस पर यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने का आरोप लगाया।

हालांकि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में आपात बैठक बुलाना महज एक औपचारिकता लगती है। चूंकि संयुक्त राष्ट्र विश्व की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था है, इसलिए वैश्विक संकट के मामलों में इसका प्रदर्शन औसत से कम रहा है। और आज संयुक्त राष्ट्र दुनिया के लिये एक फैशनेबल मंच बन गया है। जहां चीजें बड़ी होती हैं, वहां लंबे भाषण दिए जाते हैं, लेकिन इस मंच पर कोई बहस व्यावहारिक नहीं होती और कोई समाधान नहीं होता।

सह-संस्थापक संपादक: राम अजोर

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