न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज (25 मार्च 2022) पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, बेटे कार्ति चिदंबरम और अन्य लोगों को आईएनएक्स मीडिया (INX Media Case) के मामले में मालखाने में रखे गये दस्तावेजों को देखने की मंजूरी देने वाली निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED- Enforcement Directorate) की याचिका पर नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना (Justice Yogesh Khanna) की पीठ ने आज पी चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति और अन्य लोगों से जवाब मांगा और मामले में आगे की सुनवाई के लिये 20 अप्रैल की तारीख तय की।
जांच एजेंसी ने स्पेशल कोर्ट के उस आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है, जिसमें आरोपी को मालखाने में रखे गये दस्तावेजों को देखने की मंजूरी दी गयी थी। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्रधारी सिंह (Justice Chandradhari Singh of Delhi High Court) की बेंच ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Cases) में ईडी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पहले भी दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरोपी व्यक्तियों और उनके वकीलों को दस्तावेजों देखने की मंजूरी दी गयी थी, जिसे बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने खारिज कर दिया।
सीबीआई की याचिका ने अदालत से निचली अदालत के आदेश में की गयी टिप्पणियों को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की, जिसके तहत याचिकाकर्ता (CBI) को कोर्ट के सामने मामले की जांच के दौरान इकट्ठे किये गये सभी दस्तावेजों को दाखिल करने या पेश करने की जरूरत है और ये कि अभियुक्त ऐसे दस्तावेजों या उनके निरीक्षणों की प्रतियों के भी हकदार हैं, इस तथ्य के बावजूद कि याचिकाकर्ता (सीबीआई) द्वारा उन पर भरोसा किया जा रहा है या नहीं।
सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा कि दस्तावेजों का खुलासे के मामले में आरोपी का अधिकार संहिताबद्ध (Codified) रूप में सीमित अधिकार है और ये निष्पक्ष जांच और मुकदमे की नींव है।
याचिका में कहा गया कि- ऐसे मामलों पर आरोपी पुलिस फ़ाइल (Police File) के हर दस्तावेज़ या यहां तक कि उन हिस्सों पर दावा करने के लिये कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है, जिन्हें अदालत के आदेश के मुताबिक धारा 173 (2) के तहत रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेजों का खुलासा करने की अनुमति है।
बता दे कि सीबीआई ने केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रूपये का विदेशी धन हासिल करने के लिये INX मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB– Foreign Investment Promotion Board) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए 15 मई 2017 को मामला दर्ज किया था।
इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया। प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई द्वारा प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए (PMLA – Prevention of Money Laundering Act) का मामला दर्ज किया था और आरोप लगाया कि आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी में भारी अनियमिततायें बरती गयी।