टेक डेस्क (यामिनी गजपति): मोबाइल नेटवर्क कंपनियों को आखिरकार दूरसंचार विभाग ने 5जी (5G technology) टेस्टिंग करने की मंजूरी दे दी। भारती एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडाफोन इंडिया और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) जैसी कंपनियों ने इस मामले में संचार मंत्रालय को आवेदन दिया था।
अब ये विवाद पैदा कर रहा है कि क्या 5G तकनीक के असर को लेकर एविएशन इडंस्ट्री (Aviation Industry) फ्रिकमंद है, जिससे विमानों और फ़्रीक्वेंसी को नुकसान पहुँचता है। ये सुनिश्चित करने के लिये कि विमान की उड़ान सुरक्षित रहे, जिससे इस कवायद को पहले भी रोक दिया गया था।
विमान और उसकी उड़ान के लिये इस्तेमाल होने वाली फ़्रीक्वेंसी पर इसके होने असर असर का अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि भारत में 5G टैक्नोलॉजी समेत अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (IMT– International Mobile Telecommunications) के लिये खोले गये फ़्रीक्वेंसी बैंड (Frequency Band) में ये सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त गार्ड बैंड है कि कोई वैमानिकी हस्तक्षेप न हो। इसलिये अध्ययन करने का सवाल ही नहीं उठता।
शुरूआत में 5G और इसके असर पर सवाल तब उठा, जब अमेरिकी विमानन उद्योग और फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA– Federal Aviation Administration) ने कहा कि 5G तरंगें हवाई जहाज के इलेक्ट्रॉनिक्स को एल्टीमीटर (Altimeter) की तरह प्रभावित कर सकती हैं, जो कि किसी विमान की ऊंचाई का सुझाव देने में मदद करती हैं।
चूंकि 5G को अमेरिका में रोल आउट किया जा रहा है, इसका मतलब है कि अमेरिका से आने-जाने वाली उड़ानें प्रभावित होंगी। इस साल के आखिर में भारत भी 5G स्पेक्ट्रम को रोलआउट करेगा और हमारी एयरलाइनों के लिये भी ये होना काफी संभव है। Vodafone, Airtel और Jio सब अभी देश भर में 5G के टेस्टिंग पर काम कर रहे हैं और इस साल इस सेवा के शुरू होने की पूरी उम्मीद है।