न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): राजनीतिक दलों और बड़े पैमाने पर लोगों की मांगों को पूरा करने के मकसद से उठाये गये बड़े कदम में केंद्र सरकार ने नागालैंड, असम और मणिपुर (Assam and Manipur) में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत इलाकों को कम करने का फैसला लिया, जो दशकों से लागू था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने ट्वीट कर लिखा कि- सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत इलाकों में कमी सुरक्षा की स्थिति में सुधार और क्षेत्र में तेजी से विकास के कामों का नतीज़ा है।
शाह ने ट्वीट किया कि, “अफस्पा के तहत इलाकों में कमी लगातार हो रही सुरक्षा की स्थिति में सुधार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उग्रवाद को खत्म करने, उत्तर पूर्व में स्थायी शांति लाने के लिये लगातार प्रयासों और कई समझौतों में लायी गयी तेजी का नतीज़ा है।”
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) साल 1958 अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा (Nagaland and Tripura) के इलाकों में सशस्त्र बलों कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है। जम्मू और कश्मीर में तैनात बलों को भी शक्तियां प्रदान की गयी।
दिलचस्प बात ये है कि साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) को दबाने के लिये पहली बार ब्रिटिश प्रशासन द्वारा इस कानून पेश किया गया था। इसके अलावा कानून के मुताबिक किसी भी ऑपरेशन के लिये किसी भी तरह की गिरफ्तारी और तलाशी वारंट (Arrest And Search Warrant) की जरूरत नहीं होती है।
इस अधिनियम के तहत कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी सुरक्षा प्रदान करता है, जिसका मतलब है कि ‘केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना सुरक्षा बल किसी भी शख़्स के खिलाफ मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकता है। जो किसी भी व्यक्ति के खिलाफ की गयी या किये जाने के लिये कथित तौर इस्तेमाल होता है।