न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): एक ख़ुफ़िया फर्म ने हाल ही में ख़तरनाक दावा किया है कि चीनी हैकर्स हाल के महीनों से लद्दाख के पास भारतीय पावर ग्रिड सिस्टम (Indian Power Grid System) पर हमला कर रहे हैं। बीते बुधवार (6 अप्रैल 2022) को रिकॉर्डेड फ्यूचर द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये हमले भारत के खिलाफ चीनी साइबर-जासूसी लड़ाई का हिस्सा हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लद्दाख में भारत-चीन सीमा के पास स्थित कम से कम सात “लोड डिस्पैच” केंद्र बीते कई महीनों से चीनी निगरानी में हैं। हाल के महीनों में हमने इन संबंधित राज्यों के भीतर ग्रिड कंट्रोल और इलैक्ट्रिसिटी डिस्पैच (Grid Control and Electricity Dispatch) के लिये वास्तविक समय संचालन करने के लिये जिम्मेदार कम से कम सात भारतीय राज्य लोड डिस्पैच केंद्रों (SLDCs) के नेटवर्क को टारगेट बनाकर उसमें हैकरों ने घुसपैठ की।
चीनी हैकरों का ये टारगेट जियोग्राफिकल तौर पर केंद्रित है। उत्तर भारत में स्थित चिन्हित SLDCs के साथ लद्दाख में विवादित भारत-चीन सीमा के लगे कई पावर ग्रिड सिस्टम को चीनी हैकरों (Chinese Hackers) ने अपना टारगेट बनाया। फर्म ने कहा कि भारत सरकार को रिपोर्ट पब्लिश करने से पहले उनके नतीज़ों को लेकर सतर्क कर दिया गया है।
रिकॉर्डेड फ्यूचर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि हैकिंग गुटों में से एक RedEcho, जिसने पहले लोड डिस्पैच सेंटरों में से एक को टारगेट बनाया। हैकिंग गुट के साथ इसने “मजबूत ओवरलैप” साझा किया है, जिसे अमेरिका ने चीनी सरकार से जोड़ा है। चीन से जुड़े हैकिंग गुटों के जरिये भारतीय पावर ग्रिड संपत्तियों को लंबे समय से टारगेट बनाया जा रहा है। इससे चीनियों को सीमित आर्थिक जासूसी (Economic Espionage) या पारंपरिक खुफिया जानकारी जुटाने के मौके मिलते हैं।
इससे संभावित रूप से अहम बुनियादी ढांचे के आसपास की जानकारी इकट्ठा करने और भविष्य की गतिविधि के लिये पहले से जानकारी इकट्ठा करना इस हैकिंग का अहम मकसद है। चीनी सरकार की साइबर युद्ध (Cyber war) छेड़ने की क्षमता पर भारतीय प्रतिष्ठान के भीतर काफी चिंतायें पसरी हुई हैं।
पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ स्वर्गीय बिपिन रावत द्वारा बार-बार इस तथ्य को उजागर किया था, जिन्होंने प्रौद्योगिकी को लेकर दोनों मुल्कों के बीच पसरी गहरी खाई की ओर इशारा किया था। जहां भारत चीन के मुकाबले कोसों दूर है। इसी मुद्दे पर अप्रैल 2021 के कहा था कि- हम जानते हैं कि चीन हम पर साइबर हमले शुरू करने में सक्षम है और ये हमारे सिस्टम की बड़ी पैमाने को बाधित कर सकता है। हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वो एक ऐसी प्रणाली बनाना है, जो साइबर रक्षा (Cyber Defence) सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य साइबर हमलों से निपटने के लिये फायरवॉल (Firewall) बनाना है और इस मुद्दे को “गंभीर तरीके से” लिया जाना चाहिये।