न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): Azaan Controversy: बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने बीते गुरुवार (7 अप्रैल 2022) को कहा कि बेंगलुरु पुलिस ने गुरुवार को 301 मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य प्रतिष्ठानों को अपने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल निर्धारित डेसिबल स्तर के भीतर करने के लिये नोटिस जारी किया।
301 नोटिसों में से 59 पब, बार और रेस्तरां को, 12 उद्योगों को, 83 मंदिरों को, 22 चर्चों को और 125 शहर भर की मस्जिदों को दिये गये हैं। ये कदम कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने वाले लाउडस्पीकरों को बंद करने की मांग के बाद उठाया गया। इस मामले में उन्होंने राज्य भर के आयुक्तों और अन्य पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की।
मौलाना मकसूद इमरान रशीदी (इमाम जामिया मस्जिद सिटी मार्केट) ने मीडिया को बताया कि उन्हें पुलिस विभाग से नोटिस मिला है और वो उस आदेश का पालन करेंगे जो लाउडस्पीकर के डेसिबल से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक दिया गया है। उन्होनें इस मामले पर कहा कि- कई मस्जिदों को नोटिस मिला है। हमें निर्धारित ध्वनि स्तर बनाये रखने के लिये कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिये और अगर आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो कार्रवाई शुरू की जायेगी।”
मौलाना मकसूद इमरान रशीदी (Maulana Maqsood Imran Rashidi) ने आगे कहा कि- पुलिस प्रशासन ने डिवाइस को फिट करना शुरू कर दिया है, जो ये सुनिश्चित करता है कि ध्वनि निर्धारित स्तर को पार न करे और लाउडस्पीकर से किसी को भी कोई परेशान न हो। मंदिरों को भी इस संबंध में नोटिस मिला है। अगर हम सभी नियमों का पालन करते हैं तो कोई समस्या नहीं होगी”
इमाम ने सरकार से शांति भंग करने और हिंसा पैदा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘हमें भेदभाव को अलग रखना चाहिये और देश के विकास के लिये मिलकर काम करना चाहिये।
इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) ने बीते मंगलवार (5 अप्रैल 2022) कांग्रेस पर लाउडस्पीकर के मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति इन सभी समस्याओं को पैदा कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि इस पर भी हाईकोर्ट का डेसीबल मीटर का आदेश पारित हो चुका है और ये सिर्फ अजान के लिये ही नहीं बल्कि सभी लाउडस्पीकरों के लिये है।
बोम्मई ने मुद्दों का राजनीतिकरण करने के लिये कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि- वे (कांग्रेस) असल में पाखंडी हैं। हिजाब मुद्दा किसने शुरू किया और उन लोगों के खिलाफ आवाज क्यों उठायी जिन्होंने हिजाब मुद्दा शुरू किया और जिन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया, फिर वो चुप क्यों थे? कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति इन सभी समस्याओं को पैदा कर रही है और हमें उन्हें एक-एक करके हल करना होगा। ये उच्च न्यायालय का आदेश है, ताकत के जरिये कुछ भी नहीं किया जाता है। ये सिर्फ अज़ान के लिये नहीं बल्कि सभी लाउडस्पीकरों के लिये है, “
हालांकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Former Karnataka Chief Minister Siddaramaiah) ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ के लिये सांप्रदायिक मुद्दों का इस्तेमाल करके समाज को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि, मस्जिदों पर लाउडस्पीकर विवाद को जोड़ने से आगामी राज्य चुनावों में बोम्मई सरकार को झटका लगेगा।
इससे पहले कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र (Karnataka Home Minister Araga Gyanendra) ने राज्य पुलिस को इस पर गौर करने और उन्हें सभी लोगों को विश्वास में लेते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने का फरमान जारी किया। उन्होनें कहा कि कोर्ट का आदेश सिर्फ अज़ान के लिये नहीं है, बल्कि बसों के लिये भी कुछ नियम तय करता है ताकि शोरशराबा एक खास डेसीबल के भीतर ही हो।
कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि – ये अवैध लाउडस्पीकरों के लिए है जो प्रदूषण नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। जिसके लिये कोर्ट के आदेश भी हैं। हमें उस पर अमल करना होगा। हमने पुलिस अधिकारियों को इस पर गौर करने और इसे संज्ञान में लेने का निर्देश दिया है। यहां कानून-व्यवस्था की खराब करने का कोई अवसर नहीं है। ये केवल मस्जिदों के लिये ही नहीं बल्कि सभी के लिये है। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना होगा।”
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर (Health Minister Dr. K Sudhakar) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित डेसिबल स्तर न सिर्फ किसी एक धर्म पर लागू होता है बल्कि ये हर नागरिक के लिये लागू होगा। इसके तहत ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिय. लाउडस्पीकर को निर्धारित डेसिबल स्तर में बनाये रखना होगा। ये नियम किसी एक धर्म पर लागू नहीं है। कानून प्रत्येक नागरिक पर लागू होता है।
मंत्री ने हर चीज का राजनीतिकरण नहीं करने और देश के कानून के विचारों और निर्णय का सम्मान करने का भी आग्रह किया। सिद्धारमैया की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य के राजस्व मंत्री आर.अशोक (Revenue Minister R. Ashok) ने कहा कि उनके आरोप निराधार हैं और न तो सरकार और न ही मुख्यमंत्री ऐसी चीजों में शामिल हैं।
अशोक ने कहा कि, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है, सिद्धारमैया जैसा व्यक्ति मुख्यमंत्री पर आरोप लगा रहा है, जो ऐसी चीजों में शामिल नहीं है। न तो सरकार और न ही मुख्यमंत्री ऐसी चीजों में शामिल हैं। सिद्धारमैया ने एक निराधार बात कही है।”
उन्होंने आगे सिद्धारमैया से अपने व्यवहार और बोलने के तरीके पर गरिमा बनाए रखने का आग्रह किया। राजस्व मंत्री आर.अशोक ने कहा कि “वो जानते हैं कि ऐसी सभी चीजों के लिये कौन जिम्मेदार है। राजनेता हमेशा वोट देखते हैं। ये सिर्फ सिद्धारमैया की हताश कोशिश है”
शिवसेना नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) ने भी कहा था कि अजान के लिये डेसिबल स्तर बनाये रखने के लिये महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने भी नोटिस दिया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thakrey) ने राज्य सरकार से मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिये कहा और “मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ” की चेतावनी देने के बाद महाराष्ट्र में ये बहस छिड़ गयी।
इस पर राज ठाकरे ने कहा कि- मैं नमाज़ के खिलाफ नहीं हूं, आप अपने घर पर नमाज़ पढ़ सकते हैं, लेकिन सरकार को मस्जिद के लाउडस्पीकरों को हटाने का फ़ैसला लेना चाहिये। मैं अभी चेतावनी दे रहा हूं.. “
इसके अलावा ठाकरे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुंबई के मुस्लिम इलाकों में मस्जिदों पर छापा मारने की भी अपील की और कहा कि वहां रहने वाले लोग “पाकिस्तानी समर्थक” हैं। इस पर उन्होनें कहा कि- “मैं पीएम मोदी से मुस्लिम झुग्गियों में मदरसों पर छापा मारने की अपील करता हूं। पाकिस्तानी समर्थक इन झोंपड़ियों में रह रहे हैं। मुंबई पुलिस जानती है कि वहां क्या हो रहा है … हमारे विधायक वोट-बैंक के लिये उनका इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसे लोगों के पास आधार कार्ड भी नहीं है। लेकिन विधायक उनके सभी दस्तावेज़ बनवाते हैं”
उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Area) में दिन में 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल की आवाज हो सकती है जबकि वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन में 65 डेसिबल और रात में 55 डेसिबल की आवाज की इज़ाजत है। रिहायशी इलाकों में दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल है। साथ ही साइलेंस जोन में दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल की आवाज को मंजूरी है।