इतिहास को ध्यान में रखते हुए अपने पूर्ववर्तियों की तरह इमरान खान भी पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रहे। इमरान खान राजनीतिक रूप से अस्थिर मुल्क के 19वें प्रधानमंत्री थे। इमरान को बेवजह बाहर निकलने के साथ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) अगले प्रधानमंत्री बनने के लिये पूरी तरह तैयार हैं।
पाकिस्तान नेशनल असेंबली (Pakistan National Assembly) औपचारिक रूप से 70 वर्षीय शहबाज शरीफ का चुनाव करेगी, जब वो आज (11 अप्रैल 2022) दोपहर में बैठक करेगी। सियासी बदलाव के बीच भारत सरकार सर्तकता के साथ आशावादी है कि आने वाले महीनों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध बेहतर हो सकते हैं।
प्रधान मंत्री के तौर पर इमरान खान (Imran Khan) के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे नहीं थे क्योंकि उन्होंने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर कश्मीर मुद्दे को उठाया। हालांकि शहबाज शरीफ का रुख बहुत अलग नहीं है, लेकिन वो भारत के साथ संबंधों के लेकर काफी नरमी बरतते हैं।
बीते रविवार (10 अप्रैल 2022) को शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति चाहता है लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना स्थायी शांति संभव नहीं है। होली के मौके पर शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट किया कि, “हमारी विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। पाकिस्तान अपने सभी नागरिकों का है, चाहे उनकी जाति, पंथ और रंग कुछ भी हो। ये दिन सभी के लिये शांति और खुशी का लाता है”
उम्मीद है कि शहबाज शरीफ के कार्यकाल के दौरान उच्चायुक्तों की प्राथमिकता व्यापार संबंधों और पूर्ण राजनयिक संबंधों की बहाली पर होगी। भारत के साथ व्यापार संबंध अगस्त 2019 के बाद से टूट गये थे जब भारत ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द कर उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था।
शहबाज शरीफ का मुख्य ध्यान पाकिस्तान की बीमार अर्थव्यवस्था में दुबारा जान फूंकना है। खासतौर से कोविड -19 महामारी और भारत के साथ अपाहिज़ हुई व्यापारिक की कोशिशों के बाद। दोनों देशों के बुद्धिजीवियों के बीच ट्रैक 2 के जुड़ाव को जारी रखने की अटकलें तेज हो गयी हैं।
माना जाता है कि शहबाज शरीफ को पाकिस्तान की ताकतवर सेना का समर्थन हासिल है। पाकिस्तानी सेना ने फरवरी 2021 से भारतीय सैनिकों के साथ नियंत्रण रेखा पर सफलतापूर्वक युद्धविराम (Ceasefire) लागू किया। वो पाकिस्तान के सबसे ज़्यादा आबादी वाले और सियासी तौर पर अहम पंजाब प्रांत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं और बेहतरीन कुशल प्रशासक होने के साथ प्रैक्टिकल अप्रोच रखते है।
जरूरी नहीं कि शहबाज शरीफ में वो करिश्मा हो जो उनके भाई नवाज में है और ना ही वो अपनी भतीजी मरियम नवाज (Maryam Nawaz) की तरह भीड़ खींचने वाले हैं। लेकिन निश्चित रूप से उनकी ताकत इस तथ्य में छिपी हुई है कि वो सक्षम प्रशासक है।
शहबाज शरीफ के बड़े भाई और तीन बार पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छा तालमेल साझा किया, जो दिसंबर 2015 में लाहौर की यात्रा पर गए थे, जब नवाज शरीफ प्रधान मंत्री थे। शहबाज पीएम मोदी के साथ वही तालमेल जारी रख सकते हैं।
शहबाज पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं और ईसाइयों) की हत्याओं की अक्सर निंदा करते हुए देखे गये हैं। इस तरह की मिसाल उन्हें तटस्थ राजनेता के तौर पर स्थापित करती हैं। उन्होंने महान गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन पर भी शोक ज़ाहिर किया था। ये भारत के लिये सॉफ्ट कॉर्नर होने की धारणा के साथ उनके पक्ष में जाता है।