एजेंसियां/न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): चीन (China) के सबसे शक्तिशाली और उन्नत स्टील्थ फाइटर जेट J-20 (Stealth Fighter jet J-20) ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों में गश्त शुरू कर दी है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बार-बार ये बताने की कोशिश की कि ये ‘नियमित प्रशिक्षण’ गश्त है।
J-20 के शुरुआती संस्करणों में रूसी इंजन लगे थे लेकिन इन इंजनों को जल्द ही चीनी इंजनों द्वारा बदल दिया गया, जिन्हें घरेलू रूप से विकसित किया गया था। पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में J-20 लड़ाकू विमानों की मौजूदगी को चीन द्वारा समुद्री इलाके में शक्ति प्रदर्शन करने से जोड़कर देखा जा रहा है। इस इलाके में बीजिंग (Beijing) का कई देशों से विवाद चल रहा है।
चीन अपने ऐतिहासिक दावों के आधार पर संपूर्ण दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। इस तरह चीन ने दक्षिण चीन सागर पर समुद्र तट के साथ अन्य देशों को विवादों में डाल दिया है। चीनी नौसेना और वायु सेना ने दक्षिण चीन सागर में अपनी मौजूदगी लगातार दर्ज कराती रही है। चीन ने यहां कई कृत्रिम द्वीप भी बनाये हैं। कुछ द्वीपों के पास रनवे भी हैं।
पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप (Senkaku Island) को लेकर चीन का जापान के साथ विवाद है। इन्हें डियाओयू द्वीप (Diaoyu Island) भी कहा जाता है।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) के पास कथित तौर पर 200 J-20 स्टील्थ फाइटर जेट हैं। ऑस्ट्रेलिया में ग्रिफ़िथ एशिया इंस्टीट्यूट (Griffith Asia Institute) के विजिटिंग फेलो पीटर लेटन ने सीएनएन के हवाले से कहा कि इन समुद्री इलाकों पर चीन के दावा किये गये हवाई सीमा में घुसपैठ करने वाले विदेशी सैन्य विमानों को संभावित रूप से जे -20 के जरिये रोका जा सकता है।