एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): काबुल (Kabul) की एक मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद हुए ताकतवर धमाके में 50 से ज़्यादा नमाजियों की मौत हो गयी। रमजान के मुस्लिम पवित्र महीने के दौरान अफगानिस्तान (Afghanistan) में नागरिक ठिकानों पर हुए हमलों की सिलसिलेवार वारदातों में ये ताजा मामला है। अफगानी गृह मंत्रालय के उप प्रवक्ता बेसमुल्लाह हबीब (Besmullah Habib) ने बताया कि राजधानी के पश्चिम में खलीफा साहिब मस्जिद (Khalifa Sahib Mosque) में दोपहर तड़के धमाके हुए।
ये हमला उस वक़्त हुआ जब सुन्नी मस्जिद (Sunni Mosque) में नमाज़ के बाद नमाज़ पढ़ने वाले ज़िक्र नामक एक मण्डली के लिये इकट्ठा हुए। ये रस्म कुछ मुसलमानों में धार्मिक स्मरण के तौर पर देखी जाती है, लेकिन कुछ कट्टरपंथी सुन्नी गुट (Radical Sunni faction) इस धार्मिक कवायद को अंज़ाम देने वाले लोगों को कफ़ीर (विधर्मी) मानते है। मस्जिद के मुखिया सैयद फाजिल आगा (Syed Fazil Agha) ने कहा कि जिस शख़्स को वो आत्मघाती हमलावर (Suicide Bomber) मानते थे, वो उनके साथ समारोह में शामिल हुआ और उसने खुद को विस्फोटक से उड़ा लिया।
उन्होंने रॉयटर्स को बताया कि, “काला धुंआ उठा और हर जगह फैल गया, लाशें हर जगह थी,” उन्होंने कहा कि मृतकों में उनके भतीजे भी शामिल हैं। “मैं खुद बच गया, लेकिन अपनों को खो दिया।” निवासी मोहम्मद साबिर (Mohammad Sabir) ने कहा कि उन्होंने घायल लोगों को एम्बुलेंस में लादते देखा। उन्होंने कहा, “धमाका बहुत तेज था, मुझे लगा कि मेरे कान के पर्दे फट गये हैं।”
मिल रही जानकारी के मुताबिक अस्पतालों को अब तक 66 लाशें और 78 जख़्मी लोग मिल चुके हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन ने हमले की निंदा की। बता दे कि ये हाल के हफ्तों में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा में काफी इज़ाफा हुआ है। हमले के वक़्त कम से कम दो यू.एन. स्टाफ सदस्य और उनके परिवार मस्जिद में थे। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक इस धमाके में करीब 200 से ज़्यादा लोग मारे गये है।
अफगानिस्तान के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मेटे नुडसेन (Mette Knudsen) ने कहा, “इस घृणित कृत्य की निंदा करने के लिये मेरे पास लफ़्ज नाकाफी है।”
काबुल शहर के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि वो 21 मरीजों का इलाज कर रहा है और दो की मौत हो गयी। हमले में घायल मरीजों का इलाज कर रहे एक अन्य अस्पताल के कर्मचारी ने कहा कि उसे 49 मरीज और करीब पांच शव मिले हैं। सूत्र ने बताया कि दस मरीजों की हालत गंभीर थी और लगभग 20 को बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया।
सत्ताधारी तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद (Taliban spokesman Zabihullah Mujahid) ने बयान जारी कर विस्फोट की निंदा की और कहा कि अपराधियों को ढूंढ निकाला जायेगा और उन्हें सज़ा दी जायेगी। फिलहाल ये साफ नहीं हो पाया है कि इस बम धमाके के पीछे किन ताकतों का हाथ था।
हाल के हफ्तों में धमाकों में करोड़ों अफगान नागरिक मारे गये हैं, जिनमें से कुछ ने दावा कि इन धमाके के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ है।
आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसने अकेले अप्रैल महीने में ही काबुल में हुए हमलों में घायल हुए 100 से ज़्यादा लोगों का इलाज किया। ताजा हमला रमजान के महीने के आखिरी शुक्रवार को हुआ, जिसमें ज्यादातर मुसलमान रोजा रखते हैं और अगले हफ्ते ईद के धार्मिक अवकाश तक रोजा, इबादत और ज़कात देने की पाक कवायदों में मशगूल रहते है।
तालिबान (Taliban) का कहना है कि अगस्त में सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने देश को सुरक्षित किया है और बड़े पैमाने पर इस्लामिक स्टेट (Islamic State) की स्थानीय शाखा को खत्म कर दिया है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि उग्रवाद के फिर से शुरू होने का खतरा लगातार बना हुआ है।
कई हमलों ने शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया है, हालांकि, सुन्नी मस्जिदों पर भी हमला हुए है। उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ में बीते गुरुवार (28 अप्रैल 2022) को शिया मुसलमानों को ले जा रहे दो यात्री वैन में बम विस्फोट हुआ जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गये। पिछले शुक्रवार (29 अप्रैल 2022) को कुंदुज शहर में जुमे की नमाज के दौरान सुन्नी मस्जिद में हुए धमाके में 33 लोगों की मौत हो गयी थी।