न्यूज डेस्क (दिनेश यादव/ विजय): आजमगढ़ जनपद (Azamgarh District) के सगड़ी तहसील अंतर्गत महराजगंज ब्लॉक के ग्राम सभा नौबरार तुर्क चारा ग्राम सभा में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। राजस्व विभाग की ये कवायद तयशुदा ढंग से सिलसिलेवार तरीके से आगे बढ़ रही है, लेकिन चकबंदी ये मुहिम ग्रामीण राजनीति की भेंट चढ़ती दिख रही है। जिसकी वज़ह से काश्तकारों और राजस्व अधिकारियों (Revenue Officers) को प्रक्रिया आगे बढ़ाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दे कि चकबंदी (Farm Land Consolidation) से जुड़ी धारा चार का प्रकाशन साल 2003 में हुआ, उसके बाद कमेटी का चुनाव होने के साथ धारा 9 की प्रक्रिया 31 मार्च 2005 को पूरी कर ली गयी। राजस्व विभाग के अधिकारियों की देखरेख में 27 मार्च 2011 को सेक्टरों का निर्माण कर लिया गया। चकबंदी से जुड़ी आखिरी प्रक्रिया के तहत 21 मार्च 2020 को सीओ चकबंदी द्वारा सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी। इन सभी कवायदों से इलाके के सभी काश्तकार संतुष्ट दिखे। आखिरकर अब पर्चा 23 भी बट रहा है और कुछ लोगों को बांट भी दिया गया है।
इसी क्रम में अब विवाद पनपता दिख रहा है। गांव के कुछ लोगों ने ग्राम प्रधान पति पर भू माफियाओं (Land Mafia) होने से साठगांठ होने आरोप लगाते हुए उच्च अधिकारियों के पास तहरीर दी। जिसके तहत 30 अप्रैल 2022 को गांव में दोनों पक्षों को सूचना देने के बाद चकबंदी अधिकारी बंदोबस्त आजमगढ़ सुरेश जयसवाल, सहायक चकबंदी अधिकारी राधेश्याम वर्मा, चकबंदी कांननूगो रमेश यादव और चकबंदी लेखपाल विद्या शंकर वर्मा गांव पहुंचे और खुली बैठक की सारी प्रक्रिया पूर्ण करने में लगे हुए थे, वहीं पर चकबंदी विभाग के अधिकारियों का और कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि जब खुली बैठक में ग्राम प्रधान पति को बुलाया गया तो ग्राम प्रधान पति खुली बैठक में आने से इंकार कर दिया।
मौके पर हीं पर मौजूद 90 फीसदी कास्तकारों ने दावा किया कि- हम लोगों को चकबंदी विभाग के अधिकारियों से कोई आपत्ति नहीं है सभी काम अच्छी तरह से हो रहे हैं लेकिन गांव के कुछ भूमाफिया और दबंग किस्म के लोग प्रधान की मिलीभगत से चकबंदी प्रक्रिया में व्यवधान डालते हैं। जब इस मामले में ग्राम प्रधान पति से जानकारी ली गयी तो उन्होनें बताया गया कि हमारे गांव में चकबंदी कमेटी बनी थी, जिसमें सादे कागज पर चकबंदी अधिकारियों द्वारा साइन करा लिया गया और पैसा लेकर चक इधर-उधर किया जा रहा है। इसकी शिकायत मै चकबंदी विभाग के उच्च अधिकारियों को लखनऊ (Lucknow) में की गयी, आज तक मुझे इस मामले में कोई सूचना नहीं मिली।
प्रधान पति ने आगे कहा कि- बैठक की जहां पर हमेशा खुली मीटिंग्स होती थी, वहां पर लोग नहीं आये दूसरी जगहों पर खुली बैठकें कर रहे हैं और मेरे ऊपर जो आरोप लग रहा है वो गलत है। वहीं पर रामाश्रय पटेल, बद्री यादव, बीरबल यादव, प्रभु नाथ यादव, राजाराम यादव, राममिलन वर्मा, चंद्रभान यादव, जीत बहादुर यादव समेत कई दर्जनों काश्तकारों का कहना है कि हम लोग चकबंदी विभाग के अधिकारियों से संतुष्ट हैं लेकिन प्रधानपति के कुछ पक्ष के लोग इसमें व्यवधान डाल रहे हैं।
मौजूदा हालातों के बीच काश्तकार और राजस्व अधिकारियों के बीच पशोपेश की माहौल बना हुआ है। जिसकी वज़ह से चकबंदी प्रक्रिया पूरी तरह से रूकी हुई है। ग्राम प्रधान पति के ऊपर लगे कथित आरोपों की पुष्टि फिलहाल नहीं हो पायी है। लेकिन ज़्यादातर लोग उनकी भू-माफ़िया से साठगांठ होने का आरोप लगा रहे है। दूसरी ओर ग्राम प्रधान पति का दावा है कि सादे कागज पर चकबंदी अधिकारियों ने साइन करवाकर मानमाफ़िक ढंग से चक का आबंटन कर रहे है। फिलहाल मामले पर जिला प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।