Rajiv Gandhi assassination Case: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन की रिहाई का फरमान

नई दिल्ली (देवागंना प्रजापति): Rajiv Gandhi assassination Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज (18 मई 2022) पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया। इसके लिये न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल किया।

संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) को अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिये आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की अनुमति देता है। जस्टिस एल.नागेश्वर राव और  न्यायमूर्ति बी.आर.गवई (Justice L.Nageswara Rao and Justice B.R.Gavai) की न्यायिक पीठ ने कहा कि राज्य कैबिनेट का फैसला हमेशा राज्यपाल के लिये बाध्यकारी होता है। तमिलनाडु के राज्यपाल एजी पेरारिवलन की रिहाई पर संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत तमिलनाडु मंत्रिपरिषद (Tamil Nadu Council of Ministers) द्वारा दी गयी सहायता और सलाह से बंधे हैं।

पेरारिवलन ने सितंबर 2018 में तमिलनाडु सरकार द्वारा की गयी सिफारिश के आधार पर जेल से समय से पहले रिहाई की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पेरारिवलन की दया याचिका को भारत के राष्ट्रपति को भेजने के राज्यपाल के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं है।

शीर्ष अदालत ने पेरारीवलन को रिहा करते हुए जेल में उसके अच्छे आचरण, सेहत के हालात, शैक्षिक योग्यता (हिरासत के दौरान हासिल की गयी) और तमिलनाडु के राज्यपाल के पास उसकी दया याचिका की लंबितता को ध्यान में रखा। फैसला सुनाने के दौरान दलील दी गयी कि अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल (Governor) द्वारा पेरारिवलन की शीघ्र रिहाई की याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी ने भी उनकी रिहाई को जरूरी बना दिया।

बता दे कि पेरारिवलन 30 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका हैं। सुनवाई के दौरान न्यायिक खंडपीठ (Judicial Bench) ने केंद्र सरकार के इस सुझाव से असहमति जताई कि उसे (अदालत को) पेरारिवलन की दया याचिका पर राष्ट्रपति के फैसले तक इंतजार करना चाहिये।

न्यायिक खंडपीठ पीठ ने कहा था कि, “हम उसे जेल से रिहा करने का आदेश पारित करेंगे क्योंकि आप गुण-दोष के आधार पर मामले पर बहस करने के लिये तैयार नहीं हैं। हम संविधान के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, उस पर हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते हैं। संविधान हमारे लिये पवित्र धर्म ग्रंथ की भांति है, हमें इसका अनुसरण करना ही होगा। कानून से ऊपर कोई नहीं है। गणमान्य व्यक्तियों को कुछ शक्तियां प्रदान की जाती हैं, लेकिन संविधान का काम रुकना नहीं चाहिए।”

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से एजी पेरारिवलन की रिहाई पर अपनी स्थिति साफ करने के लिये कहा था और केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि अगर सरकार एक हफ़्ते के भीतर दोषी की दया याचिका पर कोई स्टैंड नहीं लेती है तो वो पेरारिवलन को “छोड़ देगें” .

शीर्ष अदालत ने कैबिनेट की रिहाई की सिफारिश पर साढ़े तीन साल से ज़्यादा समय तक रोकने और फिर इसे राष्ट्रपति को भेजने के लिये तमिलनाडु के राज्यपाल की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई।

शीर्ष अदालत ने 9 मार्च को पेरारिवलन को उनके आचरण, खराब स्वास्थ्य और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी थी कि उन्होंने 30 साल से अधिक समय जेल में बिताया। पीठ ने कहा था कि पैरोल पर तीन बार रिहा होने पर उसके आचरण के बारे में कोई शिकायत सामने नहीं आयी।

पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि जेल से रिहा करने की पेरारीवलन की याचिका पर राज्यपाल को अभी फैसला करना है। केंद्र के कड़े विरोध के बावजूद शीर्ष अदालत ने पेरारीवलन को जमानत दे दी थी।

रिकॉर्ड और प्रासंगिक दस्तावेजों पर सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने पहले शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति पेरारिवलन की क्षमा याचिका से निपटान करने के लिये “उपयुक्त सक्षम प्राधिकारी” हैं।

बता दे कि राजीव गांधी की 21 मई 1991 की रात को चुनावी रैली में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर (Sriperumbudur in Tamil Nadu) में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गयी थी, जिसकी पहचान धनु के तौर पर हुई। छानबीन के दौरान  हत्या के समय पेरारिवलन पर शिवरासन, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE- Liberation Tigers of Tamil Eelam) के गुर्गों के लिये दो 9-वोल्ट बैटरी खरीदने का आरोप लगाया गया था, जो कि हत्या का मास्टरमाइंड किया था। राजीव गांधी की हत्या के लिये बम में बैटरियों का इस्तेमाल किया गया था।

18 फरवरी 2014 को शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल की देरी के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

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