न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इस मामले की समीक्षा के लिए फैसला किया कि क्या पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 32 साल पुराने रोड रेज मामले में अधिक गंभीर प्रकृति के आरोपों का सामना करना चाहिए।
गौरतलब है कि पीड़ित परिवार ने एक समीक्षा याचिका दायर कर सजा बढ़ाने की बजाय चोट पहुंचाने से ज्यादा गंभीर श्रेणी के अपराध के लिए सजा की मांग की थी। हालांकि, सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जेल की सजा नहीं देने का आग्रह किया था।
इस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रोड रेज मामले में उन्हें दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले में नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
हालांकि शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने मई 2018 में सिद्धू को मामले में 65 वर्षीय व्यक्ति को "स्वेच्छा से चोट पहुंचाने" के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन जेल की सजा न सुनाते हुए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
बता दें कि 1987 में सिद्धू रोड रेज (road rage) के एक मामले में आरोपी थे, जिसमें पटियाला के गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। मई 2018 में, SC ने सिद्धू को 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर रिहा कर दिया।
ऐसा तब हुआ जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उन्हें स्वेच्छा से नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषमुक्त कर दिया, यह देखते हुए कि मामला 30 साल से अधिक पुराना था, और आरोपी ने किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था।