न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Congress leader Navjot Singh Sidhu) को बीते शुक्रवार (20 मई 2022) पटियाला सेंट्रल जेल (Patiala Central Jail) लाया गया, जब उन्होंने साल 1988 के रोड रेज मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनायी गयी एक साल की कैद की सजा काटने के लिये आत्मसमर्पण कर दिया।
सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर डाला ने मीडिया को बताया कि, “उन्होंने (नवजोत सिंह सिद्धू) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वो न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें कैद में भेजने से पहले चिकित्सा परीक्षण और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं से गुजारा जायेगा।”
मौजूदा गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) में सिद्धू को पहले आरोपों से बरी कर दिया गया था लेकिन उन्हें स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी ठहराया गया। अदालत ने सिद्धू पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया और मामले में सिद्धू के सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू (Rupinder Singh Sandhu) को भी बरी कर दिया था।
पटियाला सत्र न्यायालय (Patiala Sessions Court) के न्यायाधीश ने 22 सितंबर 1999 को सिद्धू और उनके सहयोगी को मामले में सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देने के कारण बरी कर दिया। इसके बाद पीड़ित परिवारों ने इस फैसले को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Haryana High Court) के सामने चुनौती दी, जिसमें साल 2006 में सिद्धू को दोषी ठहराया और तीन साल कैद की सजा सुनायी गयी। सिद्धू ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अपील दायर की। बता दे कि 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह (Gurnam Singh) के सिर पर वार किया, जिससे उनकी मौत हो गयी थी।
पटियाला जेल में कुछ इस तरह बीतेगा नवजोत सिंह सिद्धू का दिन
- सुबह 5:30 बजे: जेल में दिन जल्दी शुरू होता है।
- सुबह 7 बजे: वो सुबह का नाश्ता चाय के साथ बिस्कुट या काले चने से शुरू करते हैं।
- सुबह 8:30 बजे: काम शुरू करने से पहले कैदियों के लिये छह चपातियों, दाल या सब्जियों का खाना परोसा जाता है।
- शाम 5:30 बजे: कैदी अपनी कैटीगिरी के मुताबिक आवंटित काम को पूरा करते है।
- शाम 6 बजे: रात का खाना छह चपातियों, दाल/सब्जियों के साथ परोसा जाता है।
- शाम 7 बजे: कैदियों को उनके बैरक में बंद कर दिया जाता है।
नवजोत सिंह सिद्धू जब वो सक्रिय तौर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर थे, ने सड़क पर विवाद के बाद 65 वर्षीय गुरनाम सिंह की पिटाई की थी। ये वारदात 27 दिसंबर 1988 को हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने उनके सिर पर वार किया था, जिससे बाद में उनकी मौत हो गयी।
सत्र अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ये मामला 33 साल से ज़्यादा समय तक चला। पटियाला की सत्र अदालत ने 22 सितंबर 1999 को नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।
हालांकि पीड़ित परिवार (Victim Family) ने मामले को उच्च न्यायालयों में ले गया। साल 2007 में सिद्धू को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) द्वारा दोषी ठहराया गया और तीन साल जेल की सजा सुनायी गयी। इसके बाद उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी।
साल 2018 में सिद्धू को इरादतन चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया गया था, लेकिन उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1,000 रुपये के जुर्माने से रिहा कर दिया।
बाद में पीड़ित परिवार ने सजा कम के खिलाफ समीक्षा याचिका (Review Petition) दायर की। सिद्धू ने शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए मामले का दायरा बढ़ाने की मांग वाली याचिका का विरोध किया, जिसमें कहा गया था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पीड़ित की मौत एक झटके से हुई।