Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri Case: वाराणसी जिला अदालत में आज होगा फैसला मामले पर पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू है या नहीं

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri Case) मामले में वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) आज फैसला करेगी कि किस याचिका पर पहले सुनवाई होगी। बीते सोमवार (23 मई 2022) को हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं। मुस्लिम पक्ष (Muslim side) ने कहा था है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की यथास्थिति नहीं बदली जा सकती है।

हिंदू पक्ष इस दावे का ये कहते हुए विरोध कर रहा है कि 1991 का अधिनियम ज्ञानवापी मामले पर लागू नहीं है और पहले आयोग की रिपोर्ट को शामिल करने की मांग कर रहा है। सोमवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज अर्जुन कृष्ण विश्वेश (District Judge Arjun Krishna Vishwesh) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। आज (24 मई 2022) दोपहर 2 बजे कोर्ट मामले की सुनवाई पर फैसला सुनायेगा।

मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव (Advocate Abhay Yadav) ने कहा कि 7/11 की याचिका पर सोमवार को बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के निर्देश के मुताबिक श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले पर बहस हुई। मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत से मांग की गयी कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत कोई मुकदमा नहीं किया जा सकता है, इसलिए मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिये।

इस पर हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु जैन (Advocate Vishnu Jain) ने कहा कि न्यायालय द्वारा नियुक्त आयुक्त ने सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है। अतः प्रतिवादी पक्ष को इसका विरोध करना चाहिये। उन्होंने आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिये आवेदन किया था। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण करने के 17 मई के वाराणसी स्थानीय अदालत के आदेश ने इस तरह 1991 के अधिनियम पर फिर से रौशनी में  ला खड़ा किया है।

मामले में प्रभावी नहीं है पूजा अधिनियम

हिंदू पक्ष के मुताबिक इस बहस में आयोग की कार्यवाही रिपोर्ट को भी शामिल किया जाना चाहिये। अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है। धार्मिक चरित्र का विश्लेषण किये बिना 7/11 का कोई आधार नहीं है। विष्णु जैन ने कहा कि आयोग की कार्रवाई, वीडियो, फोटो इस मामले से जुड़े सबूत हैं। साथ ही उसके वीडियो और फोटो की पहली कॉपी दी जानी चाहिये। दोनों पक्षों से आपत्ति हासिल करने के बाद, ये तय करें कि मुकदमा चलने योग्य है या नहीं। बता दें कि 7/11 की याचिका में मुस्लिम पक्ष ने मामले की स्थिरता पर सवाल उठाये हैं।

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