न्यूज डेस्क (अरिहंत वार्ष्णेय): ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का मुद्दा अभी भी जल्द सुलझता नहीं दिख रहा है और कई मामले अदालत में लंबित हैं। इस चल रहे विवाद के बीच एक और मुद्दा उठाया गया है, जहां दावा किया जा रहा है कि राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) में अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे एक शिवलिंग मौजूद है। ऐसे में ज्ञानवापी मामले की तरह अजमेर शरीफ में भी सर्वे कराने की मांग की जा रही है।
महाराणा प्रताप सेना (MPS) नाम का फेसबुक पेज चलाने वाले राजवर्धन सिंह परमार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार को जांच के लिये खत लिखा है। उनका दावा है कि अजमेर दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) के नीचे शिवलिंग है और वो सोशल मीडिया पर इसके लिये अभियान चला रहे है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI- Archaeological Survey of India) ने मामले की जांच की मांग की है। महाराणा प्रताप सेना (Maharana Pratap Sena) के फेसबुक पेज ने भी एक तस्वीर साझा की, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह की खिड़कियों पर स्वास्तिक (Swastika) निशान साफ देखे जा सकते हैं। MPS के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार (Rajvardhan Singh Parmar) का दावा है कि अजमेर में हजरत ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह एक प्राचीन शिव मंदिर था।
इस बीच दरगाह की अंजुमन कमेटी (Anjuman Committee) ने राजवर्धन सिंह परमार के दावों को खारिज कर दिया है। अंजुमन कमेटी के अध्यक्ष और सचिव ने मीडिया के सामने दिये बयान में इस दावे को झूठा बताया और कहा कि इस जगह पर ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ।
अंजुमन के अध्यक्ष मोइन सरकार ने कहा कि गरीब नवाज दरगाह धर्म और जाति की बेड़ियों से परे सार्वभौमिक सद्भाव का प्रतीक है। यहां मुसलमानों से ज्यादा हिंदू अपनी मर्जी से जियारत के लिये आते हैं और इस तरह के बयान देकर आस्था को ठेस पहुंचाई जा रही है। अंजुमन सचिव वाहिद हुसैन अंगारा (Anjuman Secretary Wahid Hussain Angara) ने कहा कि इस तरह के झूठे दावे कर सांप्रदायिक अशांति फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये।