न्यूज़ डेस्क (गुजरात): कांग्रेस के पूर्व नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) गुरुवार को गुजरात पार्टी के अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने वाले हैं। पटेल का भगवा पार्टी में शामिल होने का कदम इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly elections) से पहले आया है। भाजपा राज्य में दो दशक से अधिक समय से सत्ता में है।
गौरतलब है कि पटेल, जो 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और बाद में उन्हें राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, ने इस महीने की शुरुआत में पार्टी छोड़ दी थी। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वह सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
हाल ही में, वह कांग्रेस नेतृत्व की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा की निर्णय लेने की क्षमता और कार्यशैली की प्रशंसा करते रहे हैं।
इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस छोड़ने से पहले, हार्दिक पटेल ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को एक तीखा पत्र लिखा था, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस ने देश में कुछ प्रमुख मुद्दों पर "केवल एक अवरोधक की भूमिका निभाई" और "केवल हर चीज का विरोध करने के लिए कम हो गई"।
Hardik Patel और पाटीदार कोटा
28 वर्षीय पटेल ने 2015 में अपने पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया था और अतीत में वह भाजपा के कड़े आलोचक थे। उस समय हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत दस लोग मारे गए थे और सार्वजनिक संपत्तियों और वाहनों को नुकसान पहुंचा था।
गुजरात की तत्कालीन भाजपा सरकार ने देशद्रोह के आरोप सहित कई मामलों में फायरब्रांड नेता के खिलाफ मामला दर्ज किये था।
उन पर 121 (ए) (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) सहित विभिन्न भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत भी आरोप लगाया गया था, जिसमें वह 2016 से जमानत पर बाहर हैं।
हार्दिक पटेल ने तब खुद को भाजपा के मुखर आलोचक के रूप में तैनात किया था, जिसमें राज्य और केंद्र में पार्टी और उसकी सरकारों पर गरीबों, किसानों और युवाओं के खिलाफ होने का आरोप लगाया था।
बाद में वह लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में विपक्षी कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन, दंगों के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण उनके लिए संसदीय चुनाव लड़ना संभव नहीं था। विशेष रूप से, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एक दंगा और आगजनी मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी थी।
भाजपा सरकार ने भी हाल ही में 2015 के आरक्षण आंदोलन (quota agitation) के सिलसिले में हार्दिक पटेल और अन्य के खिलाफ दर्ज कई मामलों को वापस लेने के लिए कदम उठाए हैं।