न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने मुस्लिम संपत्तियों से जुड़े चल रहे विवादों और मुकदमों पर प्रतिक्रिया देते हुए “आपसी समझौते के जरिये रास्ता” निकालने का आह्वान करने के एक दिन बाद यूपी भर के मौलवियों ने बीते शुक्रवार (3 जून 2022) को उनके बयान का स्वागत किया और इसे उम्मीदों की रौशनी के तौर पर देखा।
बीते गुरूवार (2 जून 2022) को नागपुर (Nagpur) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था, ‘हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? हम इतिहास नहीं बदल सकते (ज्ञानवापी मुद्दे पर)। इसे न तो आज के मुसलमानों ने बनाया और न ही हिंदुओं ने। ये सब उस समय हुआ था।”
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए देवबंद के मौलवी मुफ्ती असद कासमी (Maulvi Mufti Asad Qasmi of Deoband) ने कहा कि, “उन्होंने जो कहा वो तारीफ के काबिल है। उनका ये बयान ऐसे वक़्त में सामने आया है, जब नफरत का माहौल तेजी से फैल रहा है। उनका बयान पुख्ता तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव के निर्माण की दिशा में स्वागत योग्य कदम है।”
भागवत के बयान पर मौलवी मौलाना इशाक गोरा (Maulvi Maulana Ishaq Gora) ने कहा कि, “हम उनकी सभी बयानों से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम इस पर सहमत हैं। लोगों को आरएसएस प्रमुख की बातों पर ध्यान देना चाहिये और एकता बनाने की पुरजोर कोशिश करनी चाहिये।” बता दे कि गोरा मुस्लिम संगठन जमीयत दावत-उल मुस्लिमीन (Muslim organization Jamiat Dawat-ul Muslimeen) का संरक्षक भी है।
लोगों से “गैरजरूरी मामलों” से बचने की गुज़ारिश करते हुए लखनऊ के इस्लामिक मामलों के विद्वान मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली (Maulana Khalid Rashid Firangi Mahli) ने कहा कि- आज के समाज को “विवादित मामलों से दूर रखा जाना चाहिये। ये जितना ज़्यादा किया जा सकता है, उतना ही अच्छा होगा।”
बता दे कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani, head of Jamiat Ulema-e-Hind) ने हाल ही में “शांति और सद्भाव के लिये अनुकूल माहौल बनाने की फौरी जरूरतों पर जोर दिया था।
इस बीच सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी संप्रदाय के मौलवी तौकीर रज़ा खान (Maulvi Tauqeer Raza Khan) ने कहा कि, “ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने (भागवत) ने सकारात्मक बयान दिया है। उनके विचार सकारात्मक हैं लेकिन क्या उन्हें ग्राउंड जीरो पर लागू किया जायेगा?”