न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): दिल्ली की एक कोर्ट ने बीते शुक्रवार (9 जून 2022) को देशद्रोह मामले में शरजील इमाम (Sharjeel Imam) की अंतरिम जमानत याचिका पर आदेश स्थगित कर दिया। अदालत 7 जुलाई 2022 को मामले पर आदेश सुना सकती है। देशद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश के मद्देनजर शरजील ने जमानत के लिये निचली अदालत का रूख किया था। कोर्ट ने छह जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत (Additional Sessions Judge Amitabh Rawat) ने बीते शुक्रवार (9 जून 2022) को आदेश सुनाना था। तिहाड़ जेल (Tihar Jail) से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शरजील इमाम को पेश किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से कार्यवाही के दौरान पक्षकारों को जानकारी दी गयी कि जमानत अर्जी पर आदेश और मामले की सुनवाई 7 जुलाई के लिये स्थगित कर दी गयी।
शरजील के वकील एडवोकेट तालिब मुस्तफा (Advocate Talib Mustafa) के गुज़ारिश पर अगली सुनवाई वीसी के जरिये होगी। कोर्ट ने 30 मई को अंतरिम जमानत अर्जी पर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को नोटिस जारी किया था। शरजील 27 मई को देशद्रोह के मामले में निचली अदालत में जमानत के लिये गया था। अभियोजन पक्ष द्वारा मामले में रूकावट का मुद्दा उठाये जाने के बाद शरजील इमाम के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से जमानत याचिका वापस ले ली थी। हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत के लिये निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा था।
बता दे कि मामले में जमानत अर्जी तालिब हुसैन, अहमद इब्राहिम और कार्तिक वेणु (Ahmed Ibrahim and Kartik Venu) ने दायर की थी। अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश के मद्देनजर शरजील इमाम को जमानत दी जानी चाहिये। अधिवक्ता तालिब हुसैन ने तर्क दिया कि देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए निर्देश की बुनियाद पर मुकदमे पर रोक लगनी चाहिये और शरजील इमाम को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिये।
दूसरी ओर विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने तर्क दिया कि हालांकि देशद्रोह कानून के तहत कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, लेकिन गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा लागू होती है। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन हालातों में आरोपी को अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिये।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत लगाये। आरोप के संबंध में सभी लंबित अपीलों और कार्यवाही को स्थगित रखने का निर्देश दिया गया था। सीएए और एनआरसी (CAA and NRC) के खिलाफ कथित भाषणों के लिये शरजील इमाम के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले में जमानत के लिये एक आवेदन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में ले जाया गया था।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण की न्यायिक खंडपीठ (Judicial Bench of Justice Mukta Gupta and Justice Mini Pushkarna) ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद की पारित आपत्ति दर्ज करने के बाद आरोपी को छूट दी थी। एसपीपी ने कोर्ट के सामने पेश किया था कि साल 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के संदर्भ में इस तरह की कोई भी जमानत याचिका पहले निचली अदालत में जायेगी।
जमानत अर्जी में कहा गया था कि निचली अदालत ने शरजील इमाम जमानत अर्जी खारिज कर दी क्योंकि कोर्ट ने पाया कि शरजील इमाम के खिलाफ धारा 124ए के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
जमानत आवेदन में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर विशेष न्यायालय द्वारा आक्षेपित आदेश में उठायी गयी बाधा को दूर किया जाता है और धारा 124 ए आईपीसी के तहत अपराध के बारे में लंबित बयानों को अपीलकर्ता के खिलाफ कार्यवाही में विचार नहीं किया जा सकता है। सीएए-एनआरसी के विरोध में देश में अलग-अलग जगहों पर कथित तौर पर शरजील इमाम द्वारा दिये गये भड़काऊ भाषणों को लेकर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा (Crime Branch) ने ये मामला दर्ज किया था।