श्रीमती राधारानी और ठाकुर श्री बांके बिहारी (Shrimati Radharani and Thakur Shri Banke Bihari) जी अपनी नित्य निकुंज लीलाओं (Nitya Nikunj Leelas) में अष्ठ प्रधान सखियों को स्थान देते है। ये सभी अष्ठ सखियां साक्षात् ब्रह्म के सेवा नित्य प्रति लगी रहती है। इन सखियों का वर्ण, स्वभाव और आचरण भगवती श्री राधारानी जैसी ही है। इन सखियों की कृपा प्राप्त करने से ही जीवात्मा को नित्य निकुंज लीलाओं में प्रवेश मिलता है। प्रत्येक प्रधान सखी सेवा विशेष में अपना चित्त लगाये रखती है।
सखियों का प्रेम लौकिकता से परे आलौकिकता का महाभाव है। वैष्णव सम्प्रदाय के तहत स्वामी हरिदास (Swami Haridas) द्वारा प्रतिपादित निम्बार्क मत की उपशाखा सखी सम्प्रदाय (Sakhi Sampradaya)/हरिदासी सम्प्रदाय में राधारानी और श्रीकृष्ण की आराधना (Worship of Radharani and Shri Krishna) इन्हीं सखियों के भाव को आत्मसात रखकर की जाती है। इन सखियों की सेवा में मुख्यतौर पर श्रीजी को अलता लगाना, मेहंदी लगाना, युगल सरकार को पान की बीड़ा देना, गीत गाकर उनका मन बहलाना, ठाकुर और ठाकुराइन को भोजन कराना और सुगंधित द्रव्यों से युगल सरकार का अभिषेक करना आदि शामिल है। तो आइये जाने अष्ट प्रधान सखियों के बारे में
1. ललिता सखी
ये सखी सबसे चतुर और प्रिय सखी है। राधा रानी को तरह-तरह के खेल खिलाती है। कभी-कभी नौका-विहार, वन-विहार कराती है। ये सखी ठाकुर जी को हर समय बीड़ा (पान) देती रहती है। ये ऊँचे गांव मे रहती है।
2. विशाखा सखी
ये साक्षात् गौरांगी जी का ही अंश है। ठाकुरजी को सुदंर-सुदंर चुटकुले सुनाकर हँसाती है। ये सखी सुगन्धित द्रव्यों से बने चन्दन का लेप करती है। इनका गाँव कमईं है।
3. चम्पकलता सखी
ये सखी ठाकुर जी को अत्यन्त प्रेम करती है। ये करहला गांव मे रहती है। इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है। ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती है।
4. चित्रा सखी
ये सखी राधा रानी की अति मनभावंती सखी है। ये बरसाने मे चिकसौली गांव में रहती है। जब ठाकुर जी 4 बजे सोकर उठते हैं तब ये सखी सेवा में फल, शरबत, मेवा लेकर खड़ी रहती है।
5. तुगंविद्या सखी
ये सखी चदंन की लकड़ी के साथ कपूर हो ऐसे महकती है। ये युगलवर के दरबार मे नृत्य, गायन करती है। ये वीणा बजाने में चतुर है। ये साक्षात् माँ गौरा पार्वती का अवतार है। इनका गाँव ढभाला है।
6. इन्दुलेखा सखी
ये सखी अत्यन्त सूझबूझ वाली है। ये सुनहरा गांव मे रहती है। ये किसी की भी हस्तरेखा को देखकर बता सकती है कि उसका क्या भविष्य है। ये प्रेम कहानियाँ सुनाती है। इनकी गाँव आँजनौक (अंजनवन) है।
7. रंगदेवी सखी
ये बड़ी कोमल और सुदंर है। ये राधारानी के नैनों में काजल लगाती है और श्रृंगार करती है। इनका गाँव रॉकौंली है।
8. सुदेवी सखी
ये सबसे छोटी सखी है। बड़ी चतुर और प्रिय सखी है। ये सुनहरा गांव मे रहती है। ये ठाकुर जी को पानी पिलाने की सेवा करती है। ये सखी सुनहरा में रहती है।
इस प्रकार लाड़ली लाल के बरसाना धाम के चारों ओर गोलाकार मण्डल में इन सखियों के गाँव विराजमान हैं और बिल्कुल मध्य में बरसाना लाड़ली महल है। जब भी किसी सखी की आवश्यकता पड़ती है, उसे शिखर से आवाज लगाकर बुला लिया जाता है।