न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): महाराष्ट्र की राजनीति में उठे सियासी घमासान के बीच शिवसेना (Shiv Sena) आज (24 जून 2022) दोपहर 1 बजे मुंबई के सेना भवन में पार्टी की अहम बैठक करेगी। बैठक के लिये पार्टी के सभी जिला प्रमुखों को बुलाया गया है। खास बात ये है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) द्वारा मुंबई संपर्क प्रमुखों की बैठक के ठीक एक दिन ये बैठक बुलायी गयी है।
मुंबई के वर्ली इलाके (Worli areas of Mumbai) में उद्धव और आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) के समर्थन में पोस्टर लगाये गये हैं। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने जो पोस्टर लगाये उस पर लिखा था कि शिवसैनिक उद्धव ठाकरे के साथ हैं। इस बीच शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) के उपाध्यक्ष के सामने एक याचिका दायर कर बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और 11 अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने बीते बुधवार (22 जून 2022) को हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने के लिये इन 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिये डिप्टी स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की। शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने मीडिया को बताया कि बैठक से पहले सभी विधायकों को नोटिस दिया गया था कि बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
इस बीच कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (Congress and Nationalist Congress) पार्टी ने महा विकास अघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Govt.) को अपना समर्थन दिया। इससे पहले दिन में एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार के भाग्य का फैसला विधानसभा के पटल पर किया जायेगा और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में अपना बहुमत साबित करेगा।
एकनाथ शिंदे ने किया 42 विधायकों के समर्थन का दावा
दूसरी ओर शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने दलबदल विरोधी कानून को चकमा देने के लिये जरूरी विधायकों के जादुई आंकड़े को पार करते हुए पार्टी के 42 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया। ऐसे में अगर एकनाथ शिंदे की मांग नहीं मानी जाती है तो शिंदे डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल (Deputy Speaker Narhari Jhirwal) से वो मांग करेंगे कि उनके धड़े को असली शिवसेना के तौर पर मान्यता दी जाये।
अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना दो-फाड़ हो जायेगी। अब सवाल ये है कि डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल क्या कार्रवाई करेंगे? ये देखने वाली बात होगी कि उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और वो क्या फैसला लेते हैं?