न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): पाकिस्तान के कराची (Karachi of Pakistan) में उस वक़्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये, जब एक मॉल में लगाये गये वाईफाई गैजेट्स के बारे में कहा गया कि उस पर पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के साथियों को अपमानित करने वाली बातों ब्रॉडकास्ट किया गया। गुस्साई भीड़ ने सैमसंग के होर्डिंग (Samsung’s Billboards) को तोड़ दिया और सैमसंग कंपनी पर ईशनिंदा का आरोप (Samsung Company Accused of Blasphemy) लगाया। डॉन अखबार के मुताबिक विरोध के बाद कराची पुलिस ने कथित तौर पर सभी वाईफाई उपकरण काट दिया और साथ 20 से मोबाइल फोन कंपनी के 20 से ज़्यादा कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया।
कथित तौर पर ईशनिंदा करने वाली टिप्पणी करने वाले डिवाइस को भी अधिकारियों ने जब्त कर लिया। प्रदर्शनकारियों के आरोपों के मुताबिक सैमसंग ने कथित तौर पर एक “ईशनिंदा क्यूआर कोड” पेश किया था। सैमसंग पाकिस्तान ने अपनी सफाई में कहा कि वो विरोध प्रदर्शनों के जवाब में धार्मिक विचारों को लेकर निष्पक्ष है।
हिंसक प्रदर्शन के बाद पाकिस्तानी पुलिस (Pakistani Police) ने मोबाइल फोन कंपनी के कम से कम 27 और कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया।
यहां समझे पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून
मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने या अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के लिये और मुसलमानों के खिलाफ भी पाकिस्तानी ईशनिंदा कानूनों का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों और प्रक्रियाओं के खिलाफ बोलने वाला लगभग हर शख़्स को लिंचिंग (Lynching) का शिकार होना पड़ता है।
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों के तहत 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरूआत में गिरफ्तारी और मौत की सजा कई लोगों को दी गयी है। इसी क्रम में ईशनिंदा कानूनों के तहत कई विचाराधीन मामलों के अभियुक्तों को कथित तौर पर मार दिया गया। जो बच जाते उन्हें नाजायज तरीके से पाकिस्तानी जेलों में ठूंस दिया जाता था। कई अन्य लोगों का तर्क है कि ये कानून जिसे 1980 के दशक में जनरल जिया-उल हक (General Zia-ul Haq) के सैन्य शासन के दौरान बनाया किया गया था, इसे सीधे कुरान (Quran) से लिया गया था और इसलिए ये इंसानों के जरिये बनाया गया कानून नहीं है।
पंजाब प्रांत के गवर्नर और इस कानून के जाने-माने विरोधी सलमान तासीर (Salman Taseer) की साल 2011 में उनके बॉडी गार्ड्स द्वारा हत्या कर दिये जाने के बाद पाकिस्तान की आवाम़ इस कानून को लेकर दो हिस्सों में बंट गयी थी। पाकिस्तान के ज़्यादातर लोगों ने तासीर के हत्यारे को हीरो बताया और इस कानून को ज़ायज ठहराया।