Pothole Problem: आंतकी वारदातों से ज़्यादा लोग मारे जाते है सड़को के गड्ढों की वज़ह से

Pothole Problem: ठाणे में बीते मंगलवार (6 जुलाई 2022) को हुए हादसे में 37 वर्षीय बाइक सवार की मौत हो गयी। सड़क पर बारिश की वज़ह से एक बड़ा गड्ढा हो गया था, जिसमें नौकरी पर निकलना शख़्स गिर गया। सड़क पानी से भरी हुई थी, इसलिये इस शख़्स को ये गड्ढा नजर नहीं आया। वो नीचे गिर गया और तभी पीछे से आ रही बस ने उसे कुचल दिया।

इस शख्स का नाम था मोनीश इरफान। उसका दोष सिर्फ इतना था कि वो बारिश में भी अपने काम के प्रति ईमानदार था। लेकिन ये गड्ढा या, आप कह सकते हैं, सरकारी लापरवाही ने उसे मार डाला। लेकिन विडंबना ये है कि मोनीश इरफान (Monish Irfan) व्यक्ति की मौत हमारे देश के मीडिया के लिये बड़ी खबर नहीं बनी। हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं, जो सरकार की लापरवाही के कारण मर जाते हैं और उन पर कभी बात तक नहीं की जाती।

साल 2013 से 2017 के बीच हमारे देश में सड़कों पर गड्ढों के कारण 14,926 लोगों की मौत हुई। ये आंकड़ा आतंकी हमलों में मारे गये लोगों की तादाद से काफी ज्यादा था। लेकिन क्या इन लोगों की मौत के लिये किसी को जिम्मेदार ठहराया गया है?

साल 2018 में जारी एनसीआरबी (NCRB) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में दुर्घटनाओं से होने वाली कुल मौतों में से 5 फीसदी मौतें खुले मैनहोल या गड्ढों के कारण होती हैं।

इसके अलावा एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2013 से 2018 के बीच मुंबई में खुले मैनहोल, गटर और समुद्र में डूबने की 639 घटनाएं हुईं, जिसमें 328 लोगों की मौत हो गयी। बीएमसी (BMC) ने पिछले साल बताया था कि मुंबई (Mumbai) की सड़कों पर 900 से ज्यादा गड्ढे हैं। जबकि दिल्ली के पीडब्ल्यूडी (PWD) द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक दिल्ली (Delhi) में ऐसे गड्ढों की तादाद 1,357 है।

वहीं बैंगलोर में ऐसे गड्ढों की संख्या 9,500 है। बैंगलोर (Bangalore) में इन गड्ढों की तादाद इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि वहां के लोग मोबाइल एप के जरिये प्रशासन से शिकायत करते हैं। यानी अगर दिल्ली और मुंबई में भी लोग शिकायत करने लगे तो इन शहरों में इतने गड्ढे हो जायेगें कि हमारे सिस्टम के लिये जवाब देना मुश्किल हो जायेगा।

तमिलनाडु (Tamil Nadu) की राजधानी चेन्नई (Chennai) में 11,000 ऐसी सड़कें हैं, जहां कम से कम एक गड्ढा है। यानी चेन्नई की हर तीसरी सड़क में गड्ढे हैं। इन गड्ढों की वजह से आये दिन हादसे होते रहते हैं। लेकिन दुख की बात ये है कि इससे किसी की भावनायें आहत नहीं हुई।

अक्सर जब भी ऐसी दुर्घटनायें सामने आती हैं तो हमारे देश की सरकारें खेद जताकर पीछे हट जाती हैं।

अंग्रेजों ने हमारे देश पर 200 साल तक राज किया और लोगों पर कई अत्याचार किये। आजादी के बाद बड़े नेताओं ने हमारे देश पर राज किया और देश की जनता को वोटिंग मशीन बनकर ही छोड़ दिया। सरकारों ने कभी भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनने दी, जिसमें जनता भी सरकार के काम का हिसाब ले सके और निजी कंपनी की तरह बेहतर सेवाओं की मांग कर सके।

हमारे देश में सड़कें और पुल बनाने जैसी कोई भी योजना कई सालों तक इसी तरह अधूरी रह जाती है और देश के लोग अपने जीवन के कई साल ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) में खड़े रहकर बर्बाद कर देते हैं।

संस्थापक संपादक : अनुज गुप्ता

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