RBI ने शुरू की नयी व्यवस्था, रूपये में हो सकेगा इंटरनेशनल ट्रेड पेमेंट सैटलमेंट

बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बीते सोमवार (11 जुलाई 2022) को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रूपये के चलन को बढ़ाने लिये कुछ उपायों का ऐलान किया, ताकि भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार (Global business) को बढ़ावा दिया जा सके।

अपनी आधिकारिक विज्ञप्ति में आरबीआई ने कहा ने कहा कि “भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने और रूपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रूचि का समर्थन करने के लिये इन्वॉइसिंग (Invoicing) के लिये अतिरिक्त व्यवस्था करने का फैसला लिया गया है। जिसके तहत भुगतान और निर्यात/आयात का सैटलमेंट रूपयों में आसानी से किया जा सकेगा।”

दूसरे शब्दों में कहे तो इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात रूपये में मूल्यवर्गित (Denominated In Rupees) और इन्वॉइसिंग किये जा सकते हैं। हालांकि इस व्यवस्था को लागू करने के लिये बैंकों को आरबीआई के विदेशी मुद्रा विभाग (Forex Department) से पूर्व अनुमोदन की जरूरत होगी। नया इन्वॉइसिंग सिस्टम एक्सचेंज रेट (Exchange Rate) के साथ-साथ पेमेंट सैटलमेंट से जुड़े मुद्दों को आसानी से सुलझायेगा। इसके अलावा इस व्यवस्था की मदद से 2 मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती है।

कारोबारी लेनदेन के सैटलमेंट के लिये संबंधित बैंकों को भागीदार व्यापारिक देश के संपर्की बैंक/बैंकों को विशेष रूपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी। आरबीआई सर्कुलर में आगे कहा गया है कि धारित रूपये के सरप्लस बैलेंस (Surplus Balance) का इस्तेमाल पारस्परिक समझौते के मुताबिक पर्मसिबल कैपिटल (Permissible Capital) और चालू खाता लेनदेन के लिये किया जा सकता है।

खास वोस्ट्रो खातों (Vostro Accounts) में बैलेंस अमाउंट का इस्तेमाल परियोजनाओं और निवेशों के भुगतान के लिये किया जा सकता है; इसमें निर्यात/आयात एडवांस फ्लो मैनेजमेंट (Import Advance Flow Management); और सरकारी बॉन्ड में निवेश में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस तंत्र के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातक INR में भुगतान करेंगे, जो विदेशी विक्रेता/आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिये इन्वॉसिंग के तहत भागीदार देश के संवाददाता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में भारतीय मुद्रा रूपये जमा कर सकेगें।

निर्यातक जो इस तंत्र के जरिये वस्तुओं और सेवाओं के विदेशी शिपमेंट का काम करते हैं, को तयशुदा खास वोस्ट्रो खाते में बैलेंस अमाउंट से भारतीय रूपये में निर्यात आय का भुगतान किया जायेगा। ये भारतीय निर्यातकों (Indian exporters) को विदेशी आयातकों से निर्यात के बदले रूपये में एडवांस पेमेंट हासिल करने में सक्षम बना सकता है।

एक्सपोर्ट के प्रति एडवांस पेमेंट की ऐसी प्राप्ति की मंजूरी देने से पहले बैंक ये सुनिश्चित करेंगे कि इन खातों में मौजूद पैसों का इस्तेमाल पहले से ही निष्पादित निर्यात आदेशों (Execute Export Orders)/अंडर प्रोसेस एक्सपोर्ट पेमेंट जुड़ भुगतान दायित्वों के लिये किया जाता है।

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