Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी कोर्ट ने सुनी हिंदू पक्ष की दलीलें, AIMPLB ने पूजा स्थल अधिनियम को दी चुनौती और याचिका का किया विरोध

न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): Gyanvapi Masjid Case: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB- All India Muslim Personal Law Board) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध किया। जिसमें पूजा स्थान अधिनियम को चुनौती दी गयी थी, जिसमें कहा गया था कि अधिनियम “समाज में वैमनस्य को रोकने के लिये नेक इरादे” के साथ बनाया गया था। एआईएमपीएलबी ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) के बाद किसी भी तरह के तनाव से बचने के लिये अधिनियम पेश किया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने बुधवार को वाराणसी की अदालत से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर (Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri Complex) मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है और हिंदुओं को वहां पूजा करने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिये। कोर्ट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति (AIMC- Anjuman Intejamiya Mosque Committee) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी स्थल पर दैनिक पूजा की मंजूरी मांगने वाली हिंदू महिलाओं द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई को चुनौती दी गयी है।

जिला सरकार के वकील राणा संजीव सिंह ने कहा कि वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन (Advocates Harishankar Jain and Vishnu Jain) ने हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें रखीं। बहस आज (14 जुलाई 2022) भी जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के 1994 के एक फैसले पर भरोसा करते हुए, जिसमें कहा गया था कि मुसलमानों के लिये मस्जिद में नमाज़ अदा करना जरूरी नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर मामले में आवेदन करते हुए मस्जिद परिसर में नमाज अदा करने के अधिकार की दलील देते हुए हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने बीते बुधवार (13 जुलाई 2022) को वाराणसी की कोर्ट को बताया कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 नहीं है। ।

बता दे कि साल 1994 के फैसले में इस्माइल फारूकी बनाम भारत संघ (Ismail Farooqui vs Union of India) शीर्ष अदालत ने माना कि मस्जिद इस्लाम (Islam) के धर्म के पालन का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और यहां तक कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है।

हरिशंकर जैन ने कोर्ट को बताया कि जिस जमीन पर मुस्लिम पक्ष दावा कर रहा है वो काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के पीठासीन देवता (Presiding Deity) आदि विश्वेश्वर महादेव (Vishweshwar Mahadev) की है और वहां जबरन नमाज अदा की गयी। उन्होंने दावा किया कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है।

अधिनियम किसी भी पूजा स्थान में बदलाव पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाये रखने का प्रावधान सुनिश्चित करता है जैसा कि 15 अगस्त 1947 को वजूद में था। मुस्लिम पक्ष ने बीते मंगलवार (12 जुलाई 2022) को मामले की स्थिरता पर अपनी दलीलें पूरी कीं।

निचली कोर्ट ने परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया था। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ और 19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गयी।

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला था। बाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर अब इस मामले की सुनवाई 23 मई से जिला जज की अदालत में हो रही है।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More