गज़वा-ए-हिन्द के लिये ज़मीन तैयार करता PFI, जांच में लगी NIA

जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली और हमारा देश धर्म के आधार पर बंट गया। यानि ये वो वक़्त था जब पाकिस्तान (Pakistan) इस्लामी नियमों के तहत वजूद में आया था। कुछ लोगों के लिये बंटवारे से जुड़ी त्रासदी का दर्द आजादी के जश्न से भी बड़ा था। बंटवारे के इस दौर में कुल 1 करोड़ 45 लाख लोगों ने सीमा पार की थी। इनमें से 7.26 मिलियन हजरत मुसलमान भारत से पाकिस्तान चले गये थे जबकि लगभग इतनी ही तादाद में हिंदू और सिख (Hindu and Sikh) लोग पाकिस्तान से भारत आये थे। भारत विभाजन की भयावहता और त्रासदी को कभी नहीं भूला है।

अब मिशन 2047 नाम से एक नये खतरे ने देश में दस्तक दी है। ये खतरा भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। बिहार में पुलिस ने पटना के फुलवारी शरीफ (Phulwari Sharif of Patna) से तीन संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के पास से पुलिस को कुछ दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिसमें लिखा है कि साल 2047 तक भारत में इस्लामिक राज हो जायेगा।

पूरा दस्तावेज़ सात पेज लंबा है और जिसकी हेडिग है – हिंदुस्तान 2047, हिंदुस्तान इस्लाम के शासन की ओर। इस मिशन के साथ भारत को 1947 में वापस ले जाने का लक्ष्य आता है, जहां धर्म ने देश का बंटवारा और लाखों लोगों के लिये दर्द और उथल-पुथल का सब़ब बना।

खबर बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से आयी है, जहां पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। इन लोगों के नाम हैं मोहम्मद जलालुद्दीन, अतहर परवेज और अरमान (Athar Parvez and Armaan)। इनमें मोहम्मद जलालुद्दीन (Mohammad Jalaluddin) झारखंड पुलिस का रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर रह चुका हैं। इस बीच अतहर परवेज पहले सिमी आतंकवादी संगठन का सदस्य था, जिसे भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था।

इसके अलावा पुलिस का कहना है कि फिलहाल अतहर परवेज सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (Social Democratic Party of India – SDPI) के लिये काम कर रहा था, जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI– Popular Front of India) की राजनीतिक इकाई है। वो कथित तौर पर 12 जुलाई को पटना में आयोजित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के कार्यक्रम में कुछ हंगामा करना चाहते थे, जिसके लिये 6 और 7 जुलाई को फुलवारी शरीफ में एक मीटिंग भी हुई थी। दस्तावेज़ में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल (Tamil Nadu, West Bengal) और अन्य राज्य के कुछ संदिग्धों के शामिल होने का दावा किया गया है।

दर्ज एफआईआर के मुताबिक गिरफ्तार लोगों ने फुलवारी शरीफ में एक जगह किराये पर ली थी, जहां मार्शल आर्ट सिखाने के नाम पर मुस्लिम युवकों का ब्रेनवॉश किया जाता था। उन्हें एक खास संप्रदाय के खिलाफ हिंसा फैलाने के लिये ट्रेनिंग दी गयी थी। उन्हें अपने समाज में जाकर असामाजिक तत्वों की पहचान करना सिखाया गया। मुस्लिम युवाओं को भरमाने, भटकाने, बरगलाने और ब्रेनवॉश करने के लिये खास संप्रदाय की उन्मादी सोच वाले लोगों को इस मिशन में शामिल किया गया था।

पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक कथित तौर पर फुलवारी शरीफ में एक तरह का आतंकी शिविर चल रहा था, जिसका मकसद भारत में सांप्रदायिक दंगे भड़काना था। साथ ही इस्लामिक कट्टरवाद और जिहाद (Islamic Fundamentalism And Jihad) के नाम पर दूसरे धर्मों के लोगों को निशाना बनाने के लिये मुस्लिम युवाओं को ट्रेनिंग देना था।

मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency – NIA) ने मिशन 2047 की जांच अपने हाथ में ले ली है। ये भी सामने आया है कि मामले में एक आरोपी का भाई पीएफआई से जुड़ा है और वो बम धमाके से जुड़े एक मामले में पहले से ही जेल में है।

सात पन्नों का दस्तावेज इस बात से भरा है कि 2047 तक भारत में इस्लामी शासन कैसे लाया जायेगा। पहले और दूसरे पन्नों पर लिखा है कि एक समय में भारत में मुसलमानों का शासन था। और आज भी इंडोनेशिया (Indonesia) के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद भारत में मुसलमानों के हालात अच्छे नहीं है।

पुलिस ने कहा है कि दस्तावेज पीएफआई ने पब्लिश किया है। दस्तावेज़ में आगे लिखा गया है कि भारत में इस्लामी राज लाने के लिये मुसलमानों का बहुसंख्यक होना बेहद ज़रूरी नहीं है। दस्तावेज़ में आगे जिक्र किया गया है कि अगर भारत की मुसलमानों की 10 प्रतिशत आबादी भी पीएफआई संगठन में शामिल हो जाती है तो वो डरपोक हिंदुओं को घुटनों पर ले आयेगें जिन्हें आसानी इस्लाम (Islam) कबूल करवाया जा सकेगा।

संस्थापक संपादक – अनुज गुप्ता

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