न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): पुणे (Pune) में कमांड हॉस्पिटल दक्षिणी कमान (सीएचएससी) में दो ऑन ड्यूटी ज़वानों समेत पांच लोगों को एक युवती के अंग दान की बदौलत ज़िन्दगी का दूसरा मौका मिला, जिसे ब्रेन डेथ (Brain Death) घोषित किया गया था। मामले पर रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के प्रवक्ता ने कहा कि- एक युवा महिला को एक्सीडेंट के बाद बेहद नाज़ुक हालातों में कमांड अस्पताल (दक्षिणी कमान) (सीएचएससी) में लाया गया। शुरूआती जांच में पता लगा कि उसके शरीर में जीवन का नामोनिशान नहीं था। उसके परिवार वाले चाहते थे कि उसके अंगदान कर दिये जाये। ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर (Transplant Coordinator) से चर्चा के बाद महिला के परिजनों ने चाहा कि महिला के अंग उन रोगियों को दान कर दिये जाये जिन्हें उनकी सख्त जरूरत है”
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि- “जरूरी मंजूरी के बाद कमांड अस्पताल (दक्षिणी कमान) में ट्रांसप्लांट टीम को तुरंत एक्टिव कर दिया गया और अलर्ट को जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर (ZTCC- Zonal Transplant Coordination Center) और आर्मी ऑर्गन रिट्रीवल एंड ट्रांसप्लांट अथॉरिटी (AORTA- Army Organ Retrieval and Transplant Authority) को भी भेज दिया गया।” .
14 जुलाई की रात और 15 जुलाई के शुरूआती घंटों के दौरान भारतीय सेना के दो ज़वानों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, सीएच (एससी)-सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (Armed Forces Medical College) परिसर के नेत्र बैंक में आंखों को संरक्षित किया गया और पुणे में रूबी हॉल क्लिनिक में एक शख़्स को लिवर दान किया गया।
पांच गंभीर रूप से बीमार रोगियों को जीवन और आंखे मिली। युवा महिला और सीएच (एससी) के मिलजुले प्रयासों से ये सब मुमकिन हुआ।
रक्षा मंत्रालय ने मामले पर आगे कहा कि-ये सब इस विश्वास को मजबूत करता है कि “अपने अंगों को स्वर्ग में न ले जायें, भगवान जानता है कि हमें यहां उनकी ज़्यादा जरूरत है!” ये ऐसे हालातों में जरूरतमंद रोगियों के लिये अंगदान काफी अहम था। इस वाकये से इसकी अमूल्य भूमिका के बारे में जागरूकता फैलती है।