नई दिल्ली (शौर्य यादव): बीते सोमवार (18 जुलाई 2022) जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि जेल में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Kashmiri separatist leader Yasin Malik) ने 22 जुलाई को दिल्ली की तिहाड़ जेल (Delhi’s Tihar Jail) में भूख हड़ताल पर जाने की बात कही, अगर उनकी “निष्पक्ष सुनवाई” और “अदालतों में व्यक्तिगत मौजूदगी” की मांग पूरी नहीं की गयी तो वो ये कदम उठाने पर मजबूर हो जायेगें।
बता दे कि अलगाववादी नेता आतंकी फंडिंग (Terrorist Funding) मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, जबकि उनके और सहयोगियों पर दो अन्य मामलों में मुकदमा चल रहा है। पहला मामला 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Mohammad Sayeed) की बेटी रुबैया सईद (Rubaiya Sayeed) का अपहरण से जुड़ा है और मामला साल 1990 में भारतीय वायु सेना (IAF) के चार अधिकारियों की हत्या से जुड़ा हुआ है।
मलिक ने बीते हफ्ते केंद्र सरकार के पास एक अर्जी दाखिल कर दोनों मामलों में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की मांग की थी। बयान के मुताबिक, जेकेएलएफ के प्रवक्ता मुहम्मद रफीक डार (Muhammad Rafiq Dar) ने कहा कि जेकेएलएफ की “सर्वोच्च परिषद” की एक बैठक ने मलिक की अदालत में गैरमौजूदगी को अवैध, बर्बर और अलोकतांत्रिक करार दिया।
बयान में कहा गया कि, “मुहम्मद यासीन मलिक ने 22 जुलाई से तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है, जिसमें निष्पक्ष सुनवाई और अदालत में उनकी मौजूदगी जैसी मांगों को शामिल किया गया है। मलिक ने भारत सरकार (Indian government) को अपने फैसले के बारे में जानकारी दे दी है। जेल अधिकारियों के जरिये भेजे गये एक खत के माध्यम से ये जानकारी संबंधित अधिकारियों को पहुँचा दी गयी है।
“यासीन मलिक ने 13 जुलाई को वायु सेना (Air Force) मामले में तिहाड़ जेल से अपनी ऑनलाइन मौजूदगी के दौरान जज के सामने ये खुलासा किया था कि उन्होंने भारत सरकार को लिखा है कि अगर निष्पक्ष सुनवाई और अदालतों में व्यक्तिगत पेशी की उनकी ज़ायज कानूनी मांगों को मंजूर नहीं किया गया तो उसके पास जेल में भूख हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।”
मार्च 2020 में जम्मू (Jammu) में टाडा कोर्ट (TADA Court) ने मलिक और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किये थे, जो साल 1990 में श्रीनगर (Srinagar) में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना (Squadron Leader Ravi Khanna) समेत चार निहत्थे IAF अधिकारियों की हत्या में शामिल थे।
पिछले हफ्ते रुबैया सईद ने 1989 के हाई-प्रोफाइल अपहरण मामले में जम्मू की एक विशेष अदालत के सामने यासीन मलिक की शिनाख़्त की थी। बता दे कि रुबैया सईद का अपहरण 8 दिसंबर 1989 को हुआ था, उस वक़्त रुबैया सईद के पिता वीपी सिंह (VP Singh) की अगुवाई वाली तत्कालीन केंद्र सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री थे।
उस दौरान रूबैया की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिये जेल में बंद पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया था। 13 दिसंबर को रुबैया अपहृतों के चुंगल से छूटी थी।