न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): श्रीलंका (Sri Lanka) में राजनीतिक और आर्थिक संकट लगभग हर दिन सुर्खियां बटोर रहा है, श्रीलंकाई सरकार आर्थिक उथल-पुथल के बीच चरमरा गयी है। इस संकट के बीच कई लोग श्रीलंका और भारत के बीच तुलना कर रहे हैं। श्रीलंका संकट को देखते हुए केंद्र ने सर्वदलीय बैठक बुलायी, जिसमें केंद्रीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा था कि भारत को श्रीलंका की तरह देखे जाने की अटकलें गलत हैं और दोनों मुल्कों के बीच कोई मुकाबले नहीं है।
सर्वदलीय बैठक के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Chief Asaduddin Owaisi) ने मोदी सरकार और विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर दोनों देशों में कोई बराबरी नहीं है तो मंत्रालय ने भारत की आर्थिक सेहत पर प्रेजेंटेशन क्यों तैयार किया।
अपने ट्वीट्स की एक सिलसिलेवार श्रृंखला में असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र को फटकार लगायी और लिखा कि, “आज सरकार ने श्रीलंका संकट पर सर्वदलीय बैठक बुलायी। हालांकि इस मौके का इस्तेमाल कर सरकार ने बेतरतीबी से देश के अलग-अलग मुद्दों को उठाया।”
एआईएमआईएम अध्यक्ष ने आगे लिखा कि, “डॉ एस. जयशंकर (Dr. S. Jaishankar) ने अपने शुरूआती बयान में कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच तुलना करना गलत है। अगर ऐसा है तो डीईए को प्रेजेंटेशन क्यों देना पड़ा? कई विपक्षी दलों ने इस राजनीतिकरण का विरोध किया।”
ओवैसी ने ट्विटर पर आगे लिखा कि- “मैंने 24 मई की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें साफतौर से श्रीलंका में फैले वित्तीय संकट का संकेत दिया गया था। मैंने पूछा कि क्या मोदी सरकार (Modi government) श्रीलंका की मदद के लिये जो कर रही थी, वो जरूरत से काफी कम था और काफी देरी से मिली मदद थी। सरकार ने इसका खंडन किया लेकिन बाद में गोटाबाया (Gotabaya) की गुज़ारिश ट्वीट के जरिये सामने आयी” ।
केंद्र ने श्रीलंका संकट पर चर्चा करने के लिये मंगलवार (19 जुलाई 2022) को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, साथ ही राज्यों के वित्तीय हालातों पर “बजट और गैर-बजटीय उधार” के साथ एक प्रेजेंटेशन भी दिखायी थी। इस प्रेजेंटेशन ने कई क्षेत्रीय दलों की आलोचना की थी।
ओवैसी ने श्रीलंका में अल्पसंख्यकों के हालातों पर भी बयान देते हुए कहा कि, “श्रीलंका में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा अपने आप में बड़ा मसला है। मुस्लिम और तमिल पिछली सरकार का हिस्सा नहीं थे और ना ही मौजूदा सरकार का। श्रीलंका में बढ़ते जातीय तनाव के नतीज़े तमिलनाडु (Tamil Nadu) में भी महसूस किये जायेगें, हमें ये नहीं भूलना चाहिये।