न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): भारत के दक्षिण-पश्चिम तट से दूर लक्षद्वीप (Lakshadweep) आमतौर पर शांत रहने वाला द्वीप है, लेकिन मौजूदा हालातों में ये गंभीर परिवहन संकट के बीच तनाव से जूझ रहा है। इससे पैदा हुए विरोध और तनाव ने वहां के आम लोगों में सामूहिक गिरफ्तारी के लिये उकसाया। बीते गुरूवार (21 जुलाई 2022) को प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी पर विवाद के बाद प्रफुल खोड़ाभाई पटेल (Praful Khodabhai Patel) की अगुवाई वाले प्रशासन ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि गिरफ्तारियां मुख्य रूप से निषेधाज्ञा के उल्लंघन के कारण हुईं थी।
“झूठी” और “मनगढ़ंत” मीडिया रिपोर्टों को दोषी ठहराते हुए प्रशासन ने अपने बयान में कहा कि प्रशासन विभिन्न योजनाओं, नीतियों, परियोजनाओं आदि की शुरुआत करके द्वीपों के सर्वांगीण विकास के लिये लगातार कदम उठा रहा है। बता दे कि द्वीपों और लक्षद्वीप की मुख्य भूमि के बीच चलने वाले जहाजों की कथित कमी को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, पिछले कुछ सालों में ये जहाज़ सात से घटकर सिर्फ दो रह गये हैं।
द्वीपसमूह के 36 द्वीपों में से 10 पर लोगों की बसावट हैं, जो कि 65,000 लोगों की आबादी का घर हैं, जिनमें से ज़्यादातर मुख्य भूमि पर काम करते हैं या अध्ययन करते हैं। इनमें से कई जरूरी कामों के लिये मुख्य भूमि के साथ साथ केरल (Kerala) पर भी निर्भर हैं।
जहाजों को धीरे-धीरे हुई कमी के पीछे डीकमीशनिंग, रखरखाव और मरम्मत समेत कई कारणों के वज़ह माना जा रहा है। हालांकि जहाजों की कम तादाद ने साल के सबसे व्यस्त समय को ट्रैफिक जाम का कारण बना दिया। बारिश के मौसम में द्वीपों के निवासी पूरी तरह से जहाजों पर निर्भर हैं क्योंकि छोटी नावें ऐसे हालातों में काम नहीं कर पाती हैं।