नई दिल्ली (मृत्युजंय झा): दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Lieutenant Governor VK Saxena) ने दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) के कथित उल्लंघनों और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा की गयी जानबूझकर और भारी चूक के लिये सीबीआई जांच की सिफारिश की, जो आबकारी विभाग के प्रभारी भी हैं।
मुख्य सचिव द्वारा जारी हाल ही में एक रिपोर्ट के बाद सीबीआई (CBI) जांच की सिफारिश की गयी थी, जिसमें सिसोदिया को जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों के लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क 2010 नियम का प्रथम दृष्टया उल्लंघनकर्ता पाया गया।
एलजी कार्यालय के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की भूमिका कथित जानबूझकर और घोर खामियों के लिये जांच के दायरे में है, माना जा रहा है कि उन्होनें साल 2021-22 के लिये शराब लाइसेंसधारियों (Liquor Licensees) के लिये जारी निविदा प्रक्रिया (Tender Process) को गैरकानूनी तरीके से लाभ प्रदान किया।
उनके अनुसार सिसोदिया ने आबकारी नीति के वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन में फैसलों को अंजाम दिया था, जिससे सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ा। निविदायें देने की समय सीमा के बाद शराब लाइसेंसधारियों को इस तरह के अनुचित वित्तीय एहसान से राजकोष (Treasury) को भारी नुकसान हुआ।
साल 2021 में घातक डेल्टा कोविड -19 महामारी के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) की अगुवाई वाली दिल्ली मंत्रिमंडल (Delhi Cabinet) में आबकारी नीति (Excise Policy) पारित की गयी थी। माना जा रहा है कि ये कदम निजी शराब कारोबारियों को गैरकानूनी तरीके से मुनाफ़ा मुहैया करवाने के मकसद से उठाया गया था।
हालांकि इस मामले पर दिल्ली सरकार (Delhi Government) का मत ये है कि इस नीति के जरिये ज़्यादा से ज़्यादा इकट्ठा किये जाने की कवायद थी। साथ ही इसकी मदद से नकली शराब या गैर-शुल्क भुगतान वाली शराब की बिक्री को खत्म करने के लिये ये नीति तैयार की गयी थी।