एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने चेतावनी दी कि हवा और समुद्र में चीनी सेना प्रशांत इलाके में (Pacific Region) काफी ज़्यादा आक्रामक” हो गयी है। मिले (US General Mark Milley, Chairman of the Joint Chiefs of Staff) ने कहा कि अमेरिका के साथ प्रशांत इलाके में चीनी विमानों और जहाजों में काफी ज़्यादा हुआ है। बड़े पैमाने पर उनके बातचीत को इंटरसेप्ट किया गया है।
शीर्ष अमेरिकी जनरल ने हिंद-प्रशांत की यात्रा के दौरान ये बयान दिया क्योंकि अमेरिका चीन के प्रभाव को काबू में करने की कोशिशों के तहत इस इलाके में सहयोगियों के साथ फिर से जुड़ना चाहता है। रिपोर्टों का दावा है कि चीनी जनरल ली ज़ुओचेंग (Chinese General Li Zuocheng) ने इस महीने मिले के साथ एक फोन कॉल के दौरान कहा था कि ताइवान (Taiwan) पर “समझौता के लिये कोई जगह नहीं है”।
चीन ने हाल ही में सोलोमन द्वीप समूह (Solomon Islands) के साथ एक सुरक्षा समझौता किया है, जिससे दक्षिण प्रशांत में नौसैनिक अड्डे की स्थापना के शी शासन के साफ इरादे पर अमेरिकी आशंका बढ़ रही है। मिले ने कहा कि चीन इस क्षेत्र में लगातार बड़ी पहुँच बनाने की कोशिश कर रहा है और इसके पीछे के कारणों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिये। अमेरिकी जनरल ने कहा कि कम्युनिस्ट राष्ट्र पूरे इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और इस क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों के लिये ये सियासी नतीज़े नागवार नहीं हैं।
पिछले महीने अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (US security adviser Jake Sullivan) और शीर्ष चीनी राजनयिक यांग जिएची (Chinese diplomat Yang Jiechi) की मुलाकात के दौरान दोनों पक्ष ताइवान और अन्य मुद्दों पर बुरी तरह भिड़ गये थे। बाद में अमेरिका और चीनी अधिकारियों ने मामले पर बातचीत की थी, लेकिन दोनों पक्ष ताइवान पर समझौता करने में नाकाम रहे। यांग ने जोर देकर कहा कि “ताइवान का सवाल चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव से जुड़ा है, जो कि जब तक ठीक से संभाला नहीं जाता है, तब तक इसका असर विध्वंसक ही होगा।”
मिले ने कहा कि जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और कनाडा (Vietnam and Canada) ने चीनी विस्तारवादी कवायदों को रोक दिया जो कि जरूरत से ज़्यादा बढ़ गयी थी। पिछले महीने फिलीपींस (Philippines) ने दक्षिण चीन सागर में संयुक्त ऊर्जा परियोजना पर चीन के साथ बातचीत खत्म कर दी थी। दोनों देशों ने साल 2018 में तेल और गैस की खोज में सहयोग के लिये एक समझौते पर साइन किये थे।