UP BJP प्रमुख के पद से स्वतंत्र देव सिंह ने दिया इस्तीफा, दिनेश खटीक की RSS से करीबी को माना जा रहा है वज़ह

न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने उत्तर प्रदेश भाजपा (UP BJP Chief Post) अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। फिलहाल वो मामले पर मीडिया के सामने बयान देने से बचते नज़र आ रहे है। उनके करीबी सूत्रों ने खुलासा किया कि उन्होंने तीन दिन पहले जेपी नड्डा (JP Nadda) को इस्तीफा दे दिया। उनका तीन साल का कार्यकाल वैसे भी 16 जुलाई को खत्म हो गया था।

उत्तर प्रदेश कैबिनेट में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का ये इस्तीफा उनके जूनियर मंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) को अपना इस्तीफा भेजे जाने के कुछ दिनों बाद सामने आया। दिनेश खटीक ने सूबे की नौकरशाही को उनकी दलित पहचान (Dalit Identity) की वज़ह उनके खिलाफ द्वेष रखने का आरोप लगाया था। खटीक कथित तौर पर सिंह और उनके अधिकारियों की टीम से खासा नाराज थे, जिन्होंने जल शक्ति विभाग के तमाम कामकाज में मदद की थी।

जहां खटीक सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से मुलाकात के बाद अपने मतभेदों को दूर करने में कामयाब रहे, वहीं बीजेपी सूत्रों ने कहा कि आरएसएस के साथ उनके करीबी जुड़ाव ने स्वतंत्र देव को यूपी बीजेपी का पद छोड़ने के लिये मजबूर किया होगा। हाल ही में आरएसएस दलितों और सामाजिक रूप से उत्पीड़ितों के प्रति मिलनसार होने की जरूरतों पर जोर देता दिखा था, साल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही भाजपा के प्रति आरएसएस की निष्ठा काफी बढ़ी है।

गौरतलब है कि सिंह की तरह ही खटीक ने भी आरएसएस के साथ अपना करियर शुरू किया और साल 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में मेरठ (Meerut) की हस्तिनापुर रिजर्व विधानसभा सीट (Hastinapur Reserve Assembly seat) से जीत हासिल की। खटीक के दादा बनवारी खटीक (Banwari Khatik) और पिता देवेंद्र कुमार (Devendra Kumar) भी आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारी थे।

बता दे कि खटीक, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (जिनके पास चिकित्सा और स्वास्थ्य का प्रभार है) और पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद (PWD Minister Jitin Prasad) समेत कई अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने भी अपने संबंधित विभागों में अधिकारियों के कथित रूप से विवादास्पद तबादलों को हरी झंडी दिखायी थी।

जानकारों का कहना है कि अगर होता तो वो 16 जुलाई को ही पद से इस्तीफा दे देते, जब उनका तीन साल का कार्यकाल खत्म हो जाता। खास बात ये भी है कि भगवा पार्टी में राज्य इकाई के प्रमुख के अपने पद से इस्तीफा देने का कोई रिवाज नहीं है। ये नेता द्वारा कार्यभार संभालने की एक सरल प्रक्रिया से जुड़ा मसला है।

सिंह से पहले साल 2002 में कलराज मिश्रा (Kalraj Mishra) और साल 2021 में सूर्य प्रताप शाही (Surya Pratap Shahi) ने यूपी भाजपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। लेकिन उनके इस्तीफे की पेशकश तत्कालीन राज्य चुनावों में पार्टी की हार के बाद सामने आयी थी। हालांकि सिंह के मामले में भाजपा सूबे के राजनीतिक इतिहास में पहली बार यूपी में सत्ता में लौटने में कामयाबी रही।

ऐसा माना जा रहा है कि सिंह का इस्तीफा काफी हद तक प्रतीकात्मक था क्योंकि जल्द ही बनने वाली नयी राज्य इकाई का अध्यक्ष बनने के लिये उनका रास्ता काफी हद तक साफ हो जायेगा। बता दे कि भाजपा नेतृत्वविहीन रहना पसंद नहीं करती, यहां तक कि थोड़े समय के लिये भी नहीं।

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